बरसीम की खेती करके बन सकते हैं लखपति, बस करें ये काम

बरसीम (Medicago sativa) की खेती एक प्रमुख चारा पौधा उत्पादन के लिए की जाती है। यह अधिकतर गाय, भैंस और अन्य दूध उत्पादन करने वाले जानवरों के लिए चारा प्रदान करता है। बरसीम की खेती के लिए निम्नलिखित कदमों का पालन किया जाता है:
1. भूमि का चयन और तैयारी:
भूमि का प्रकार: बरसीम के लिए बलुई दोमट या दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है। मिट्टी में जल निकासी अच्छी होनी चाहिए।
मिट्टी परीक्षण: मिट्टी की pH 6-7 के बीच होनी चाहिए।
भूमि की तैयारी: सबसे पहले भूमि को हल से 2-3 बार जोतकर समतल कर लें। मिट्टी में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। इसके बाद, खेत में 15-20 किलो सड़ी हुई गोबर की खाद या जैविक खाद डालें।
2. बीज बोना:
बीज का चुनाव: उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चुनाव करें जो स्थानीय क्षेत्र में उगाए जा चुके हों।
बीज की मात्रा: प्रति हेक्टेयर 15-20 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है।
बोने का समय: बरसीम की बुवाई आमतौर पर अक्टूबर से जनवरी तक की जाती है, क्योंकि यह ठंडे मौसम में बेहतर उगता है।
बुवाई का तरीका: बीज को समान रूप से बोने के लिए बीज को 2-3 सेंटीमीटर गहराई पर बोएं। बीज बोने के बाद हल्की सिंचाई करें।
3. सिंचाई:
बरसीम को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। शुरुआत में हल्की सिंचाई करें और बाद में फसल की अवस्था के अनुसार पानी दें। अधिक बारिश होने पर सिंचाई की आवश्यकता कम हो जाती है।
4. उर्वरक और पोषक तत्व:
नाइट्रोजन: बरसीम में नाइट्रोजन की कमी नहीं होती क्योंकि यह फसल हवा से नाइट्रोजन अवशोषित करने में सक्षम होती है।
फास्फोरस और पोटाश: उचित मात्रा में फास्फोरस और पोटाश का उपयोग करें, जो विकास के लिए आवश्यक होते हैं।
5. निराई-गुड़ाई:
फसल के बढ़ने के दौरान निराई-गुड़ाई आवश्यक होती है ताकि खरपतवार नियंत्रित हो सकें। इसे नियमित रूप से करना चाहिए ताकि पौधे की वृद्धि पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
6. कटाई:
बरसीम की फसल को लगभग 45-60 दिन में एक बार काटा जा सकता है। जब पौधे 15-20 सेंटीमीटर ऊंचे होते हैं, तब काटने का समय होता है। पहले कटाई के बाद, फसल को फिर से उगने के लिए समय देना चाहिए।
7. कीट और रोग नियंत्रण:
बरसीम में कुछ सामान्य कीट और रोग होते हैं जैसे कि एफिड्स, लीफ स्पॉट्स, और रूट रोट। इनके नियंत्रण के लिए जैविक या रासायनिक उपचार का प्रयोग किया जा सकता है।
8. फसल की उपयोगिता:
बरसीम का उपयोग मुख्य रूप से चारे के रूप में किया जाता है। यह उच्च प्रोटीन और पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जिससे पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है। बरसीम की खेती एक लाभकारी खेती हो सकती है यदि सही तरीके से किया जाए और समय-समय पर ध्यान रखा जाए।
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