मेहरबान! कदरदान! साहिबान! ज़रा हो जाइये सावधान!

आप सभी जानते हैं कि चुनाव का मौसम आ गया है और हर ओर सभी नेता सभी राजनीतिक दल अपने वोट बैंक को साधने में लग गए हैं। और ऐसे में वो तमाम तरीके के पैंतरे अपनाते हुए जनता का ध्यान और वोट दोनों ही अपने पक्ष में करने को लालायित हैं। मगर आख़िर जनता के मन में तथाकथित नेताओं को लेकर क्या उहापोह चलती है, इसी का एक मार्मिक चित्रण पेश करती हैं ये लघु कहानी "तो क्या... अब फिर से वो हमारे घर का राशन खाएँगे?"

"मेहरबान! कदरदान! साहिबान! ज़रा हो जाइये सावधान! अजी सुना है फिर से आने वाला है लोकसभा का मतदान...! फिर से गाजे-बाजे होंगे, सड़कों पर शोर-शराबे होंगे...। डफली शोर मचाएगी और भाषण के बड़े ख़राबे होंगे।" राजू और उसकी पत्नी कमली अपने घर के बाहर बैठे हुए कुछ बातें कर रहे थे। तभी शोर मचाता हुआ एक 34-35 साल का एक पागल-सा व्यक्ति वहाँ गुज़र रहा थाराजू और उसकी पत्नी कमली अपने घर के बाहर बैठे हुए कुछ बातें कर रहे थे। तभी शोर मचाता हुआ पगला डफली बजाता हुआ गाता गुनगुनाता वहाँ से गाता हुआ गुज़र रहा था। उसकी ये बातें सुन कर कमली ने राजू से कहा, "क्यों जी फिर से चुनाव आने वाला है क्या या ये पगला यूँ बके जा रहा है?" "हाँ, अब फिर से चुनाव आने वाला है।" राजू ने लम्बी साँस लेते हुए जवाब दिया।

कमली ने फिर से पूछा, "तो क्या अब फिर से हमें राशन का इंतजाम करना होगा?" "हाँ, अब फिर से हमारे घर नेता आयेंगे, खाना खायेंगे और चले जायेंगे।" राजू का ये जवाब सुन कर कमली का दिल बैठ गया। उसने एक नज़र अपने घर के अन्दर डाली और फिर से राजू से बोली, "ये हमारे साथ ही क्यों होता है? ये नेता बड़े घरों में खाने क्यों नहीं जाते? चुनाव जीत जाने के बाद तो हमें ये पहचानते तक नहीं हैं और फिर अब जब चुनाव आ रहा है तो हमारे घर आयेंगे हमारा अनाज खायेंगे और फिर चुनाव के बाद हमारा अधिकार भी खा जायेंगे।"

कमली की ये बातें सुन कर राजू कुदाल उठा कर अपने कंधे पर रखता हुआ कहता है, "हमारा नाम राजू दिवाकर है! यही हमारा भाग्य है। समाज हमें जीने भी दे तो ये नेता हमें समाज से अलग कर फिर से उसी अँधेरे कुएँ में धकेल देते हैं, जहाँ से हम सिर्फ इनके लिए सत्ता हासिल करने का एक साधन बने रहें और पीढ़ी-दर-पीढ़ी यूँ ही दबी कुचली जाति का बोझ उठाते रहें...!" ये कहता हुआ राजू अपने खेतों पर काम करने के लिए निकल पड़ता है और कमली भी लम्बी साँस लेती हुई घर के अन्दर चली जाती है। 

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