मिले मुझ को ग़म से फ़ुर्सत तो सुनाऊँ वो फ़साना-मुईन अहसन जज़्बी

मुईन अहसन जज़्बी एक प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायर, लेखक और कवि थे। उनका जन्म 1928 में हुआ था और उन्होंने अपनी शायरी के ज़रिए उर्दू साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। मुईन अहसन जज़्बी का कलाम गहरी भावनाओं और मानवता की सजीव तस्वीर पेश करता है। उनकी शायरी में विशेष रूप से प्रेम, दर्द, मोहब्बत और समाजिक मुद्दों की चर्चा मिलती है। उनका लिखा हुआ एक प्रसिद्ध शेर है:
"चाहत से भी सुंदर तेरा नाम है, हवाओं में लहराता हुआ एक इन्कलाब है।"
मुईन अहसन जज़्बी ने अपने जीवन के दौरान कई काव्य रचनाएँ, गज़लें और गीत लिखे, जो आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं। जिनमें से ये एक है...
मिले मुझ को ग़म से फ़ुर्सत तो सुनाऊँ वो फ़साना
कि टपक पड़े नज़र से मय-ए-इशरत-ए-शबाना
यही ज़िंदगी मुसीबत यही ज़िंदगी मसर्रत
यही ज़िंदगी हक़ीक़त यही ज़िंदगी फ़साना
कभी दर्द की तमन्ना कभी कोशिश-ए-मुदावा
कभी बिजलियों की ख़्वाहिश कभी फ़िक्र-ए-आशियाना
मिरे क़हक़हों की ज़द पर कभी गर्दिशें जहाँ की
मिरे आँसुओं की रौ में कभी तल्ख़ी-ए-ज़माना
मिरी रिफ़अ'तों से लर्ज़ां कभी मेहर-ओ-माह ओ अंजुम
मिरी पस्तियों से ख़ाइफ़ कभी औज-ए-ख़ुसरवाना
कभी मैं हूँ तुझ से नालाँ कभी मुझ से तू परेशाँ
कभी मैं तिरा हदफ़ हूँ कभी तू मिरा निशाना
जिसे पा सका न ज़ाहिद जिसे छू सका न सूफ़ी
वही तार छेड़ता है मिरा सोज़-ए-शाइराना
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