मोक्षदा एकादशी: गीता जन्मोत्सव और विष्णु आराधना

BY-ANJALI SHUKLA 

सोमवार, 1 दिसंबर को मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी पड़ रही है, जिसे मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि द्वापर युग में इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। इस कारण इस दिन व्रत, पूजा और गीता पाठ करने की परंपरा है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा बताते हैं कि गीता स्वयं भगवान के श्रीमुख से निकली है, इसलिए इसका महत्व अत्यधिक है और गीता जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है।
‘मोक्षदा’का अर्थ है मोक्ष देने वाली। इस व्रत से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और माना जाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा को पुनर्जन्म नहीं मिलता, वह भगवान में लीन हो जाती है।
कहा जाता है कि इस एकादशी के व्रत से सभी पापों का नाश होता है और पितरों को भी मुक्ति प्राप्त हो सकती है। गीता का पाठ और श्रवण इस दिन विशेष फलदायी माना जाता है, जिससे ज्ञान, शांति और सही दिशा मिलती है।

ऐसी करे विष्णु कि उपासना 

1-मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और श्रीमद्भगवद्गीता की पूजा का विशेष विधान है।
2-इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना शुभ माना जाता है।
3-स्नान के बाद उगते सूर्य को जल अर्पित करें।
4-घर के मंदिर में बैठकर हाथ में जल और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें।
5-पूजा के लिए चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर विष्णु-लक्ष्मी की मूर्ति/तस्वीर स्थापित करें। श्रीकृष्ण और गीता ग्रंथ भी साथ रख सकते हैं।
6-भगवान की प्रतिमाओं को जल, दूध या पंचामृत से अभिषेक करें। तस्वीर हो तो थोड़ा जल-दूध चढ़ाएं।
7-अभिषेक के बाद चंदन से तिलक करें और गीता ग्रंथ पर भी तिलक लगाएं।
भगवान को पीले फूल, माला, तुलसी दल अर्पित करें।
8-घी का दीपक जलाएं, धूप दिखाएं और फल, मिठाई, पंचामृत व तुलसी अर्पित करें।
9 -पूजा में “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय”और “कृं कृष्णाय नम:”मंत्रों का जप करें।
10-धूप-दीप के साथ आरती करें।

व्रतधारी भक्त पूरे दिन निराहार रहें; आवश्यकता हो तो एक बार फलाहार ले सकते हैं, दूध और फल का रस पी सकते हैं।

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