मन की व्याकुलता
इंसान का मन बहुत ही चंचल और चलायमान है | ठहराव न तो इंसान के जीवन में है और न ही इंसान के मन के भीतर जिसके के कारण इंसान को समय-समय पर संघर्षों से लड़ना पड़ता है | मनुष्य का स्वाभाव जितना सरल होगा उसका व्यक्तित्व उतना ही विशाल रहेगा | व्यर्थ की चिंता से केवल मनुष्य के मन के भीतर व्याकुलता का जन्म होता है जिसके कारण मन का चंचल होना स्वाभाविक है | यदि किसी प्राणी ने अपने मन पर विजय हासिल कर ली तब जीवन की बड़ी से बड़ी परेशानी भी निमित्त्व मात्र प्रतीत होगी | हालाँकि आज मोह माया रुपी संसार की इस चकाचौंद में बहुत ही निराले होते हैं वो लोग जो अपने पर जीत हासिल कर लेते हों क्योंकि आज तो बहुत बड़े बड़े धार्मिक संत, मौलाना,फादरी भी अपने आप को इस सांसारिक दुनिया से अलग नहीं कर पाए हैं |
व्याकुलता चाहे किसी संघर्ष में हो, प्रेम में हो , प्रतिशोध में हो , प्रतिस्पर्धा में हो, वो हमेशा व्यक्ति के जीवन शैली के पैमाने को निर्धारित करती हैं। जीवन में व्याकुलता का महत्व उतना ही है, जितना कंठ के सूख जाने पर जल पाने की इच्छा की होती है। व्याकुलता ही व्यक्ति को एक सक्रियात्मक प्राणी बनाता है।
सहज और शांत मन के जरिए ही हम जीवन को जी सकते हैं। मन की शांति के लिए कुछ छोटे कदम मददगार साबित हो सकते हैं। इसमें सबसे पहला है सकारात्मक सोच। अगर आप हर बात को सकारात्मक सोच के साथ देखते हैं तो जीवन की आधी समस्याएं दूर हो जाती हैं और मन को असीम शांति मिलती है। शांति के लिए जरूरी है इच्छाओं पर नियंत्रण करना सीखें। इसके साथ ही ईश्वर ने जो भी दिया है, उसका धन्यवाद दें और उसमें संतुष्ट रहने का प्रयास करें। प्रतिदिन सुबह उठते ही सबसे पहले ईश्वर को याद करें या कुछ मिनट मेडिटेशन करें। इससे मन की शक्ति बढ़ेगी, जिससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और आप किसी भी चुनौती का सफलता पूर्वक समाधान कर सकेंगे। यही नहीं रात को सोते समय दिन का आकलन करने की भी आदत डालें। जब भी सोने जाएं तो पूरे दिन पर प्रकाश डालते हुए देखें कि कौनसी घटना या बात ने उन्हें व्याकुल रखा। उसके कारण को देखते हुए सब कुछ परमात्मा को अर्पण कर सो जाएं।
मन और शरीर का गहरा नाता हैं .आप ने सुना और पढा भी होगा की ,एक स्वास्थ्यपूर्ण शरीर में एक स्वास्थ्यपूर्ण मन होता हैं ,ठीक उलटी बात मन पे भी लागू होती हैं .एक स्वास्थ्यपूर्ण मन स्वास्थ्यपूर्ण शरीर के लिये भी जरुरी हैं, तो आप हमेशा इन दोनो को एक सिक्के के दो पहलू हैं बस इस तरह ही देखे. इस स्थिती में किसीं एक पहलू पे काम करके मन की शांती नही मिल सकती .
हमारे जीवन में ऐसे व्यक्ति का बहुत महत्व है जिसके साथ हम अपने मन की सारी बात कर सकें। ईसाईयों में कन्फेशन का भी यही महत्व है। पादरी सबकुछ सुनने के बाद कह देता है कि ईश्वर ने आपको क्षमा किया। मनोविज्ञान में भी इसका बहुत महत्व है। मनोविशेषज्ञ को अपने मन की व्यथा विस्तार से बताने के बाद मन हल्का हो जाता है और कभी कभी मनोविशेषज्ञ के प्रश्नों से विचलित और व्याकुल मन को शांत करने का उपाय भी सूझ जाता है।
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