स्त्री रोगों की समग्र देखभाल: एक ज़रूरी पहल-डा कीर्ति बाला

मोतिहारी - आज के समय में महिलाओं का स्वास्थ्य केवल एक व्यक्तिगत विषय नहीं, बल्कि एक सामाजिक और पारिवारिक ज़िम्मेदारी बन गया है। महिलाएं अपने परिवार की रीढ़ होती हैं, और उनका स्वस्थ रहना पूरे परिवार की भलाई से जुड़ा होता है। फिर भी, कई बार महिलाएं अपने स्वास्थ्य को लेकर उदासीन हो जाती हैं—चाहे वो मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं हों, प्रजनन स्वास्थ्य हो या रजोनिवृत्ति के बाद के बदलाव मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएंअनियमित पीरियड्स, अत्यधिक रक्तस्राव,दर्दयुक्त मासिक धर्म — ये सभी समस्याएं कई बार हार्मोनल असंतुलन, थायरॉइड विकार या गर्भाशय की गड़बड़ियों के कारण होती हैं। पीसीओडी/पीसीओएस यह एक आम हार्मोनल समस्या है जिसमें ओवरी में सिस्ट बन जाते हैं। इसके कारण वज़न बढ़ना, मुहांसे, अनियमित पीरियड्स और बांझपन जैसी परेशानियाँ हो सकती हैं। प्रजनन से जुड़ी समस्याएं गर्भधारण में कठिनाई,बार-बार गर्भपात होना या हार्मोनल असंतुलन जैसी समस्याएं महिलाओं को मानसिक व शारीरिक रूप से प्रभावित करती हैं। 4. रजोनिवृत्ति और उससे जुड़ी समस्याएं 45 से 55 वर्ष की उम्र के बीच महिलाओं में होने वाले हार्मोनल बदलाव अनेक समस्याएं ला सकते हैं, जैसे गर्मी लगना , मूड स्विंग, नींद न आना और हड्डियों की कमजोरी।
सावधानी और समाधान:
नियमित स्त्री रोग विशेषज्ञ से चेकअप कराना।
पैप स्मीयर, मैमोग्राफी और अल्ट्रासाउंड जैसे परीक्षण समय-समय पर कराना।
संतुलित आहार, योग और व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करना।
आत्म-जागरूकता और किसी भी लक्षण को नज़रअंदाज़ न करना।
निष्कर्ष: स्त्री रोगों की अनदेखी करना स्वयं के साथ अन्याय है। प्रत्येक महिला को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए। किर्तिमान हॉस्पिटल में हम महिलाओं की हर उम्र में संपूर्ण देखभाल के लिए प्रतिबद्ध हैं—चाहे वो किशोरावस्था हो, मातृत्व का समय हो या रजोनिवृत्ति का दौर। आपका स्वास्थ्य, हमारी प्राथमिकता – डॉ. कीर्ति बाला.
रिपोर्टर - राकेश कुमार पांडेय
No Previous Comments found.