MRI जांच पर सबसे बड़ी जानकारी-प्रसिद्ध रेडियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक कुमार यादव से

"सोचिए, आपके शरीर के अंदर क्या चल रहा है — दिल कैसे धड़क रहा है, दिमाग क्या कर रहा है, और मांसपेशियाँ कैसे काम कर रही हैं — अगर बिना चीरफाड़ के, बिना दर्द के, आप ये सब देख सकें... तो कैसा लगेगा? चिकित्सा विज्ञान में ऐसी तमाम जाँचें होती हैं, लेकिन आज हम जिस खास जाँच की बात करेंगे, वो है MRI—यानि मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग। ये एक बेहद अहम तकनीक है जो शरीर के अंदर की तस्वीरें बिना किसी काट-फाट के दिखा देती है।इसी विषय में और अधिक जानने के लिए हमने बात की उत्तर प्रदेश के जाने-माने रेडियोलॉजिस्ट, सिग्मा इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर लखनऊ के डायरेक्टर, डॉ. विवेक कुमार यादव से ...  

MRI Scan: Prep, What to Expect, Side Effects | UCSF Radiology

एमआरआई जांच क्या है?

डॉ विवेक कुमार यादव के मुताबिक  , एमआरआई का पूरा नाम है Magnetic Resonance Imaging। इसमें तीन शब्द हैं – मैग्नेटिक, रेजोनेंस, और इमेजिंग।

‘मैग्नेटिक’ का मतलब चुंबकीय क्षेत्र होता है,

‘रेजोनेंस’ में रेडियो वेव्स का इस्तेमाल होता है,

और ‘इमेजिंग’ यानी शरीर की तस्वीरें बनाना

यह एक ऐसी तकनीक है जिससे शरीर के आंतरिक अंगों की हाई-क्वालिटी इमेज बनाई जाती है, जिससे किसी भी बीमारी का सटीक डायग्नोसिस संभव हो पाता है।

What Is an MRI (Magnetic Resonance Imaging) Scan?

एमआरआई जांच किस तकनीक पर आधारित है?

डॉ विवेक कुमार यादव ने बताया कि यह जांच शरीर में मौजूद हाइड्रोजन प्रोटॉन्स पर आधारित होती है। शरीर में जब मैग्नेटिक वेव्स और रेडियो वेव्स डाली जाती हैं, तो ये प्रोटॉन्स एक दिशा में अलाइन हो जाते हैं। फिर, जब वे वापस अपनी स्थिति में लौटते हैं, तो उस समय की जानकारी को मशीन इकट्ठा करती है और इससे इमेज बनती है। इस इमेज से डॉक्टर यह पता लगाते हैं कि शरीर में क्या गड़बड़ी है।

कितने प्रकार की होती है एमआरआई जांच?

डॉ विवेक कुमार यादव इस बारे में बताते है कि तकनीक तो एक ही है, लेकिन जांच शरीर के किस हिस्से की हो रही है, उसके अनुसार प्रकार बदल जाते हैं। जैसे –ब्रेन एमआरआई,स्पाइन एमआरआई,जॉइंट्स की एमआरआई,एब्डॉमिनल (पेट) एमआरआई,लीवर, गॉल ब्लैडर या एमआरसीपी आदि।हर अंग के अनुसार अलग-अलग इमेजिंग तकनीक अपनाई जाती है।

MRI Scans | Guthrie

किस बीमारियों की जांच में एमआरआई सबसे असरदार है?

डॉ विवेक कुमार यादव के अनुसार , एमआरआई ब्रेन और स्पाइन की समस्याओं के लिए सबसे सटीक मानी जाती है।ब्रेन में ट्यूमर,क्लॉट्स,नस फटना या खून का जमाव जैसे मामलों में एमआरआई यह भी बता सकता है कि खून कितना पुराना है।इसके अलावा, स्पोर्ट्स इंजरी, जैसे लिगामेंट या टेंडन टियर, जो एक्स-रे या सीटी स्कैन में नहीं दिखते, उन्हें एमआरआई से साफ देखा जा सकता है।

क्या एमआरआई जांच शरीर के लिए नुकसानदायक है?

डॉ विवेक कुमार यादव ने बताया कि ऐसा नहीं है ,  एमआरआई जांच में रेडिएशन नहीं होता, इसलिए यह पूरी तरह सुरक्षित है। इसमें कोई चीरफाड़ या दर्द नहीं होता। बस एक बात का ध्यान देना होता है कि अगर शरीर में कोई मेटल ऑब्जेक्ट है (जैसे पुरानी सर्जरी में लगी रॉड या क्लिप), तो वह मैग्नेटिक फील्ड से प्रभावित हो सकता है।इसीलिए, जांच से पहले मेटल से जुड़ी कोई भी चीजें जैसे घड़ी, जूलरी, कपड़ों के हुक आदि उतारने को कहा जाता है।

एमआरआई की कितनी सटीकता होती है?

यह बीमारी पर निर्भर करता है।ब्रेन ब्लीड जैसे मामलों में यह 99% तक सटीक होती है।लिगामेंट, टेंडन या मसल इंजरी में 90–95% एक्यूरेसी पाई जाती है।

क्या बार-बार एमआरआई कराना सुरक्षित है?
      

सिग्मा इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर लखनऊ के डायरेक्टर, डॉ. विवेक कुमार यादव ने कहा कि ऐसा नहीं है , क्योंकि इसमें कोई रेडिएशन नहीं होता। हां, कंट्रास्ट डाई दी जाती है कुछ खास केसों में (जैसे ट्यूमर डिटेक्शन), तो उसमें हल्की उल्टी या मितली जैसे लक्षण आ सकते हैं। वैसे ये भी बहुत ही कम मामलों में होता है।

क्या छोटे बच्चों या गर्भवती महिलाओं के लिए एमआरआई सुरक्षित है?
हां, एमआरआई हर उम्र के लिए सुरक्षित है।छोटे बच्चों को यदि स्थिर नहीं रखा जा सकता, तो उन्हें थोड़ी देर के लिए नींद की दवा दी जाती है।गर्भवती महिलाएं भी एमआरआई करवा सकती हैं क्योंकि इसमें कोई रेडिएशन नहीं होता।

एमआरआई स्कैन और सीटी स्कैन में क्या अंतर है?

एमआरआई और सीटी स्कैन में क्या अंतर है?

रेडिएशन: सीटी स्कैन में रेडिएशन होता है, जबकि एमआरआई पूरी तरह सुरक्षित है।हड्डी vs टिशू: हड्डियों के लिए सीटी स्कैन बेहतर है, लेकिन सॉफ्ट टिशू, ब्रेन और स्पाइन के लिए एमआरआई ज्यादा सटीक है।लागत: सीटी स्कैन सस्ता होता है, लेकिन एमआरआई ज्यादा महंगा और डिटेल्ड होता है।

क्या एमआरआई में नई तकनीकें भी आई हैं?

सिग्मा इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर लखनऊ के डायरेक्टर, डॉ. विवेक कुमार यादव के मुताबिक पहले 0.4 टेस्ला, फिर 1.5 टेस्ला, 3 टेस्ला और अब विदेशों में 7 टेस्ला तक की मशीनें इस्तेमाल हो रही हैं।एमआर ट्रैक्टोग्राफी जैसी तकनीकों से अब हम ब्रेन के न्यूरॉन्स को भी ट्रेस कर सकते हैं।

एमआरआई जांच आज के समय की एक बेहद भरोसेमंद, सुरक्षित और उन्नत तकनीक है, जो डॉक्टरों को शरीर के भीतर की अदृश्य समस्याओं को स्पष्ट रूप से दिखाने में मदद करती है। यदि आपके डॉक्टर ने एमआरआई की सलाह दी है, तो निसंकोच होकर यह जांच कराएं — इसमें कोई खतरा नहीं है, बस पूरी तरह शांति और स्थिरता से प्रक्रिया को अपनाना होता है।

तो अगर आप भी कराना चाहते हैं , कोई जांच सटीकता के साथ तो सोचना क्या सम्पर्क करें 

सिग्मा इमेजिंग एंड डायग्नॉस्टिक्स

(विश्वास से समर्पण तक)

एल.जी.एफ.लीला टॉवर, खसरा नं. 120, रायपुर, आई.आई.एम रोड, लखनऊ 

मोबाइल नंबर 
9129436669, 9198196669

 

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