अपनी ग़जलों के जरिये आज भी लोगों के बीच जिन्दा है मुनव्वर राना

अपनी गजलों और शायरियों के जरिये लोगों के दिल पर राज करने वाले मुनव्वर राना एक ऐसे महान शख्सियत है जो न सिर्फ अपनी गजलों की वजह से जाने जाते है बल्कि अपनी गजलों के जरिये लोगों के अंदर छुपी इंसानियत को बाहर लाने के लिए उन्होंने एक अलग ही मुकाम हासिल कर रखा है . साथ ही राना उर्दू और हिंदी दोनों भाषाओ में सामान अधिकार रखते हुए माँ और बेटियों के लिए एक से बड़कर एक गजलों में नवाज़िशें दी हैं , जो किसी और की गजलों में देखने को नही मिलती . 


हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं 
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं 

मुस्तकिल जूझना यादों से बहुत मुश्किल है 
रफ्ता-रफ्ता सभी घरबार में खो जाते हैं 

इतना सांसों की रफाकत पे भरोसा न करो 
सब के सब मिट्टी के अम्बार में खो जाते हैं 

मेरी खुद्दारी ने अहसान किया है 
मुझ पर वर्ना जो जाते हैं, दरबार में खो जाते हैं  

कौन फिर ऐसे में तनकीद करेगा तुझ पर 
सब तेरे जुब्बा-ओ-दस्तार में खो जाते हैं  

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