भगवान विष्णु के पंचकमल में से एक, शिवशंकर को प्रिय दैविक फूल

नालछा : मांडू नगर परिषद उपाध्यक्ष  कृष्णा यादव के आंगन में दैविक फूल ब्रह्मकमल खिला. सावन महीने में खिले इस फूल की महत्ता धार्मिक तौर पर भी काफी मानी जाती है. साथ ही इसका मेडिकल में भी काफी महत्व है मध्य प्रदेश के धार जिले के मांडू में ब्रह्मकमल खिला मांडू नगर परिषद  उपाध्यक्ष कृष्णा यादव  के घर खिला ब्रह्मकमल आज हम भगवान विष्णु के पंचकमल में से एक और भगवान शंकर के सबसे पसंदीदा फूल  वही   ब्रह्मकमल खिलने की चर्चा जैसे ही मांडू नगर  में फैली, लोगों की भीड़ लग गई. ब्रह्मकमल का ये दुर्लभ फूल यादव परिवार के आंगन में खिला है.  शहर के लोग सावन में इस दैविक फूल के खिलने को भगवान शिव का चमत्कार मान रहे हैं. ऐसे में हम इस फूल से जुड़े कुछ जानकारी आपसे साझा कर रहे हैं. लेकिन उससे पहले जान लेते हैं कि घर के लोगों ने सावन मास में फूल खिलने पर क्या कहा? यादव परिवार के ही रहने वाले पवन यादव  बताते हैं, "12 साल बाद ब्रह्मकमल खिला है. सावन मास में खिलने से इसका बड़ा महत्व है, शिव और देवी की कृपा से ब्रह्मकमल खिला है. अक्सर ये दुर्लभ फूल हिमालय की वादियों में खिलता है. उनके घर भी 12 साल बाद इस फूल के दर्शन हुए है. इस फूल को खिलने का महत्व इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि यह सावन महीने में ही खिलता हे  उन्होंने फूल की पूजन कर उसे लक्ष्मीनायारण भगवान के चरणों में अर्पित किया."ब्रह्मकमल फूल से जुडी जानकारी  हिमालय की वादियों में हजारों फीट की ऊंचाई पर पाए जाने वाले ब्रह्मकमल की महिमा हिन्दू और बौद्धधर्म में काफी प्रचलित है. दोनों धर्म में फूल का काफी पवित्र और दैविक रूप माना जाता है. ये फूल पूरे ब्रह्माण यानि यूनिवर्स का प्रतिनिधित्व करता है. साथ ही भगवान विष्णु के पंचकमल (कमल, चमारा, कुमकुम और नागकेशरा) में से एक है. हिंदू धर्म में फूल की महत्ता:मान्यताओं के अनुसार, इस फूल को पवित्र फूल माना गया है. इसका खिलना शुभ होता है. ये पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक है. इस फूल की एक पंखुड़ी में 1 अरब परमाणु पाए जाते हैं. फूल की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा ने अपने स्वरुप का ध्यान करते हुए की थी. इस वजह से इसका नाम ब्रह्मकमल पड़ा. यानि भगवान ब्रह्मा का फूल. पौरणिक महत्व होने के साथ-साथ इस फूल का जिक्र भगवत गीता में भी है. इसे सुंदरता और पूर्णता का प्रतीक भी माना जाता है. ब्रह्मकमल का उपयोग ध्यान यानि मेडिटेशन के उद्देश्य से किया जाता है, जो शांति और धैर्यता प्राप्त करने में काफी सहायक है.प्राचीन चतुर्भुज श्री राम मंदिर के महंत,महामंडलेश्वर डॉ. नरसिंह दासजी महाराज ने बताया कि इसमें कई तरह के औषधि गुण भी पाए जाते हैं, जो कई बीमारियों को ठीक करने में मदद करते हैं. इसके अलावा हिंदू धर्म में ब्रह्माकुमारी का जिक्र भी है. ये सनातन परंपरा के प्रमुख संतों में से एक है. उन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है. इसका संबंध भी ब्रह्मकमल फूल से है. अगर ब्रह्माकुमारी के भक्त अराधना के दौरान ब्रह्मकमल के फूल को धारण करते हैं, तो देवी दुर्गा उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती हैं. धार्मिक कार्यों में उपयोग?:हिन्दू धर्म में होने वाली पूजा और यज्ञ जैसे दैनिक अनुष्ठान के समय इस फूल को माला में पिरोकर पहना जाता है. इसके अलावा घर के पवित्र स्थल पर भी इस फूल को रखा जाता है. मानसिक उन्नति से लेकर आर्थिक उन्नति में ये फूल लाभदायक है. ये नकारात्मक उर्जा से बचाता है और भौतिक सुख की तरफ आकर्षित करता है। साथ ही जीवन की हर चुनौती से निपटने के लिए उर्जा प्रदान करता है. ब्रह्मकमल जैसी ही खिला तो मांडू नगर परिषद उपाध्यक्ष के द्वारा अपने घर पर ब्रह्मकमल मंत्र उच्चारण के साथ उसकी पूजा कराई गई  पंडित सुभम  जी ने बताया कि ब्रह्मकमल 12 वर्ष में एक बार ही खिलता हे और यह सिर्फ सावन के महीने में ही खिलता हे  भगवान शिव का प्रिय पुष्प होता हे वही  ब्रह्मकमल की पूजा करने के लिए रामायण मंडल महिला मंडल और नगर के कई नागरिक मांडू नगर परिषद उपाध्यक्ष कृष्णा यादव के घर पहुंचे और सभी ने ब्रह्मकमल की पूजा की और क्षेत्र में शांति और उनती की कामना की।


रिपोर्टर : अशोक मिरदवाल   

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