कोरोना काल से बंद बिलिमोरा रेलवे स्टेशन पर यात्रियों ने ट्रेनों का संचालन फिर से शुरू करने की माँग की
बिलिमोरा : करोड़ों रुपये प्रतिवर्ष राजस्व देने वाले बिलिमोरा जंक्शन रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के संचालन को लेकर रेलवे प्रशासन द्वारा कोई निर्णय न लिए जाने से जनता और यात्रियों में भारी रोष व्याप्त है। कोरोना काल से ही, कुछ महत्वपूर्ण ट्रेनें, जो रोज़ी-रोटी के लिए अप-डाउन करने वाले मज़दूर वर्ग और आम यात्रियों की जीवन रेखा हैं, रद्द कर दी गई थीं। रेलवे प्रशासन, ज़िला सांसदों और विधानसभा सदस्यों को बार-बार अवगत कराने के बावजूद, आज तक ट्रेनों का संचालन फिर से शुरू नहीं किया गया है। बिलिमोरा और आसपास के क्षेत्रों के यात्रियों और अहमदाबाद से मुंबई तक की जनता का एक बड़ा वर्ग नौकरी-पेशा करके अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण करता है। मुख्य ट्रेनों के बंद होने से ट्रेनों की संख्या कम हो गई है और ट्रेनें फिर से शुरू नहीं की गई हैं। ट्रेनें कम और यात्री ज्यादा, ऐसे में यात्री अहमदाबाद, वडोदरा, अंकलेश्वर, भरूच, सूरत, नवसारी, वलसाड और वापी जाने वाली ट्रेनों में जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं। कोरोना काल से ही रेल प्रशासन ने फिरोजपुर जनता एक्सप्रेस, विरार शटल, सूरत-विरार और मुंबई लोकल ट्रेनों को बंद कर दिया है। सालों बाद भी जो ट्रेनें शुरू नहीं हुई हैं, उन्हें लेकर रेलवे व्यवस्था के खिलाफ लोगों में भारी रोष है। यात्रियों की बढ़ती संख्या के बावजूद नई ट्रेनों के ठहराव को भी व्यवस्था द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है। मुंबई, वापी, वलसाड, बिलिमोरा, अमलसाड, चिखली, वांसदा, आहवा, डांग, सापुतारा, पारडी, उदवारा, वापी, सेलवास, नवसारी, सचिन, उधना, सूरत, भरूच और अंकलेश्वर से वडोदरा और अहमदाबाद जाने वाले लोकल यात्री अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए ट्रेन से अन्य जगहों पर अप-डाउन करने को मजबूर हैं कोरोना से पहले बिलिमोरा स्टेशन पर ज़्यादातर ट्रेनों का ठहराव होता था। नौकरीपेशा वर्ग के साथ-साथ आम यात्री और मुसाफ़िरों को भी यात्रा का पूरा लाभ मिल रहा था। लोग व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं कि कोरोना के समय से बंद पड़ी कई ट्रेनों को अभी तक शुरू क्यों नहीं किया गया।
रिपोर्टर : तार मोहम्मद मेमन

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