बारिश की मार: गुजरात से हिमाचल तक तबाही का मंजर

भारत के कई राज्यों में मानसून की रफ्तार इस बार कहर बनकर टूटी है। गुजरात, हिमाचल और राजस्थान जैसे राज्यों में भारी बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। सड़कों पर उफनती नदियाँ, घरों में घुसा पानी और जानमाल का नुकसान इस आपदा की गंभीरता को दर्शाता है।
अहमदाबाद: 12 घंटे की बारिश ने डुबोया शहर
गुजरात के अहमदाबाद में पिछले 12 घंटों से जारी मूसलधार बारिश ने शहर को लगभग पंगु बना दिया है। पूर्वी अहमदाबाद के मणिनगर, वटवा, निकोल, ओधव, हाटकेश्वर और विराट नगर जैसे घनी आबादी वाले इलाके जलमग्न हो चुके हैं। सड़कों पर घुटनों तक पानी भर चुका है, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया है।
बारिश का पानी सिर्फ रास्तों तक सीमित नहीं रहा। एक दर्दनाक घटना में तेज बहाव के कारण एक बाइक सवार ड्रेनेज लाइन में गिर गया और उसकी मौत हो गई। दमकल विभाग ने 9 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उसका शव 200 फीट दूर से बरामद किया। यह घटना बताती है कि नगर नियोजन और आपदा प्रबंधन में किस कदर चूक हुई है।
सूरत: तीसरे दिन भी जलजमाव, गर्भवती महिला का रेस्क्यू
सूरत भी लगातार तीसरे दिन बारिश की मार झेल रहा है। गीतानगर इलाके में 3 से 4 फीट तक पानी भर चुका है। हालात इतने गंभीर हैं कि स्थानीय फायर ब्रिगेड को एक गर्भवती महिला को नाव के सहारे रेस्क्यू कर अस्पताल पहुंचाना पड़ा। यह महज एक उदाहरण है कि शहर किस कदर बाढ़ की चपेट में है।
हिमाचल प्रदेश: बादल फटने से मची तबाही, टूरिस्ट फंसे
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में हालात और भी भयावह हैं। सैंज घाटी का जीवा नाला हो या मनाली की स्त्रो गैलरी, हर जगह प्रकृति का कहर साफ नजर आ रहा है। पिछले 24 घंटों में बादल फटने की घटनाओं से कई इलाकों में अचानक बाढ़ आ गई, जिसमें कम से कम 9 लोग लापता हुए और अब तक 4 शव बरामद किए जा चुके हैं।
धर्मशाला के खनियारा से एक मजदूर को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया, लेकिन कुल्लू में फंसे करीब 2000 टूरिस्ट अब भी राहत के इंतजार में हैं। प्रशासन ने डैम से पानी छोड़े जाने का अलर्ट जारी किया है, जिससे खतरे की आशंका और बढ़ गई है।
राजस्थान: बांसवाड़ा में बादल ऐसे फटे कि 8 इंच बरसात हो गई
राजस्थान में भी मानसून पूरे वेग से बरस रहा है। बांसवाड़ा जिले में एक ही दिन में 8 इंच बारिश दर्ज की गई है। इससे खेतों में पानी भर गया है, सड़कें तालाब बन गई हैं और गांवों का संपर्क शहरों से कट गया है।
इन घटनाओं ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम जलवायु परिवर्तन के घातक असर का सामना कर रहे हैं? जिस तरह से वर्षा असमान और अत्यधिक हो रही है, उससे साफ है कि आपदा प्रबंधन और शहरी विकास को अब नए सिरे से सोचना होगा।बाढ़, बादल फटना और जलभराव केवल प्राकृतिक घटनाएं नहीं, बल्कि हमारी तैयारियों की असल परीक्षा हैं। सरकारों को अब महज अलर्ट जारी करने से आगे जाकर ठोस और दीर्घकालिक समाधान अपनाने होंगे। तभी हम इस मौसम की मार से बच पाएंगे।
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