तेजी से बढ़ रही है कोयले की कीमत, भारत और चीन सबसे बड़े कन्ज्यूमर

तेजी से बढ़ रही है कोयले की कीमत...
भारत भी कम खरीद रहा कोयला!
कोयला का बकाया कहीं गुल न कर दे बत्ती
उत्पादन निगम ने कोयला कंपनियों का करोड़ किया बकाया

देश आज़ाद है, देश में सुविधाए बढ़ रही है, देश की जनता बदल रही है, देश में इंफ्रास्ट्रक्चर दिन प्रतिदिन बेहतर हो रही है, देश में अब अच्छे दिन भी आ रहे हैं... लेकिन फिर भी अब देश के लिए एक बड़ी मुसीबत सामने आ रही है... जी हाँ देश में अब इस वक्त कोयले का संकट (Coal Crisis) जारी है. जिन बिजली घरों में पहले 17-17 दिन का कोयले का स्टॉक हुआ करता था, वहां अब महज 4-5 दिन का स्टॉक ही बचा है. जबकि, आधे से ज्यादा पावर प्लांट में तो एक या दो दिन का स्टॉक ही है. ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक, विदेश से आने वाले कोयले की कीमत बढ़ने से इसकी सप्लाई कम हुई है और घरेलू कोयले पर निर्भरता बढ़ी है. नतीजन, कोयले की कमी देखने को मिल रही है.

मिली जानकारी के मुताबिक, एशिया में थर्मल कोयले की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं, जिससे चीन और भारत में कोयले का संकट खड़ा हो गया है. चीन के बाद भारत कोयले का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करता है. कोयले की बढ़ती कीमत से इसका आयात प्रभावित हुआ है. भारत ने भी कोयले के आयात में कटौती कर दी है.  कहा ये भी जा रहा है की भारत का आयात जून के बाद से कम होता जा रहा है. भारत ने अक्टूबर के पहले हफ्ते में 2.67 मिलियन टन कोयले का आयात किया था जबकि पिछली साल इसी दौरान 3.99 मिलियन टन कोयला आयात किया था. वही कोयले की वजह से लगातार बिजली पर भी अब संकट बढ़ता जा रहा है... इसका असर उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिल रहा है...वही ख़बरें ये भी है की कोयले का पुराना भुक्तान भी अभी बाकि है

वही उप्र में कोयले का बकाया बिजली संकट का बड़ा कारण बन सकता है। विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य विद्युत उत्पादन निगम द्वारा कोयला कंपनियों को करीब 1300 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया है। इसमें सबसे ज्यादा बकाया एनसीएल का है, जिसकी राशि 1200 करोड़ रुपए के करीब है। इसके अलावा सीसीएल का करीब 100 करोड़ और बीसीसीएल का 10 करोड़ रुपए का बकाया है।

इस बकाया की वजह से कोयला कपंनियों ने प्राथमिकता की सूची में उत्पादन निगम काफी नीचे चला गया है। एक तरफ सीएम योगी आदित्यनाथ का कहना है कि रात को बिजली नहीं कटेगी, वहीं कोयले का बकाया प्रदेश के करीब तीन करोड़ उपभोक्ताओं के लिए मुसीबत खड़ा कर रहा है। बताया जा रहा है कि कोयला कंपनियों ने तय किया है कि सबसे पहले उनको कोयला दिया जाएगा, जिनका बकाया नहीं है या एडवांस जमा है। बकाया रखने वाले पावर प्लांट को सबसे आखिर मे भुगतान किया जाएगा।

वही कोयले की देश में किल्लत भी अब बढती ही जा रही है, इसका असर क्या होगा ये बड़ा मुद्दा है, क्यूंकि देश में लगातार कोयले के आयात में कमी की बात सामने आरही है तो उत्तर प्रदेश के हालात और भी बिगड़ते नजर आ रहे है, कहा जा रहा है की उत्तर प्रदेश में आब 3 से 4 दिन के लिए ही कोयला बचा है और अगर ऐसा होगा तो क्या पूरा उत्तर प्रदेश अँधेरे में जीनो को मजबूर हो जयगा.. आखिर सरकार  इसके लिए क्या करेगी ये तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा...  
 

 

 

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