India-US व्यापार समझौता: निर्मला सीतारमण का बड़ा बयान

भारत और अमेरिका के बीच बहुप्रतीक्षित व्यापार समझौते (India-US Trade Deal) को लेकर गतिविधियां तेज़ हो गई हैं, क्योंकि अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ (Trump Tariff) से मिली 90 दिन की अस्थायी छूट की डेडलाइन 9 जुलाई 2025 को समाप्त हो रही है। इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मुद्दे पर भारत सरकार की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि “भारत एक बड़ा और अच्छा व्यापार समझौता करना चाहेगा, लेकिन यह तभी संभव है जब वह हमारे हितों के अनुकूल हो। समझौता एकतरफा नहीं हो सकता।”
क्या है ट्रंप टैरिफ और इसकी डेडलाइन?
ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल में अमेरिका ने रेसिप्रोकल टैरिफ नीति लागू की थी, जिसके तहत अमेरिका ने कुछ भारतीय उत्पादों पर अधिभार (extra tariff) लगाया था। इसके जवाब में भारत ने भी कुछ अमेरिकी सामानों पर जवाबी शुल्क लगाया। हालांकि, हालिया 90-दिन की छूट अमेरिका की ओर से अस्थायी रूप से दी गई थी ताकि व्यापार वार्ता को गति मिल सके। अब यह छूट 9 जुलाई को खत्म हो रही है, और अगर कोई स्थायी समझौता नहीं होता, तो दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में फिर से तनाव आ सकता है।
वित्त मंत्री का दो टूक रुख
निर्मला सीतारमण ने साफ किया कि भारत केवल ऐसे समझौतों को मंज़ूरी देगा जो भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था, MSMEs और किसानों के हितों की रक्षा करते हों। उन्होंने यह भी इशारा दिया कि टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, कृषि, और मेडिकल डिवाइसेज़ जैसे क्षेत्रों में भारत को अपने उत्पादकों और उपभोक्ताओं के हितों की चिंता है। “हमें समर्पण नहीं, सम्मानजनक और पारस्परिक समझौते की ज़रूरत है,”
ट्रेड डील का क्या है महत्व?
भारत के लिए लाभ: अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। यदि टैरिफ हटते हैं तो टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वैलरी, फार्मा, आईटी सर्विसेज जैसे सेक्टर को भारी लाभ हो सकता है। अमेरिका के लिए लाभ: भारत में अमेरिकी उत्पादों की बढ़ती मांग और बड़ी उपभोक्ता आबादी उन्हें एक रणनीतिक बाजार बनाती है।
भारत ने अमेरिका के साथ स्पष्ट संकेत दिया है कि वह मजबूत लेकिन संतुलित समझौता करना चाहता है। जहां अमेरिका अधिक बाजार पहुंच की मांग कर रहा है, वहीं भारत भी अपने रणनीतिक और आर्थिक हितों से कोई समझौता नहीं करेगा। आगामी कुछ दिन भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं।
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