नीतीश के पलटूराम बनने से NDA में आई बहार, विपक्ष पर टूटा मुसीबतों का पहाड़

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पलटी से सियासी समीकरण पूरी तरह से बदल गया है . क्योंकि NDA के खेमे में अभी तक सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सिर्फ बीजेपी मौजूद थी, लेकिन अब नीतीश कुमार की पलटी ने NDA  का पलड़ा और भी भारी कर दिया है .और अगर बात की जाए विपक्षी खेमे की तो वह बैक फुट पर नजर आ रही है . JDU और RJD के होने के बावजूद भी इण्डिया गठबंधन की दावेदारी कमजोर थी लेकिन अब मैदान ही खाली हो गया है।JDU की NDA (नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस) में वापस आ जाने से ना सिर्फ बिहार का राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदला है बल्कि आगामी लोकसभा चुनाव का समीकरण भी पूरी तरह से बदल गया है।

वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा धोखा देने के बाद महागठबंधन में काफी जगह खाली हो गई है, जिसकी भरपाई के बाद ही महागठबंधन पूरी तरह से कमर कसकर चुनावी मैदान में सत्ताधारी पार्टी को जोरदार टक्कर देने के लिए उतर पायेगा .महागठबंधन खाली जगह को भरने के लिए मुकेश सहनी की वीआइपी या ओवैसी की एआइएमआइएम जैसे दलों को शामिल कर सकता है। साल 2019 में हुए पिछले लोकसभा चुनाव को देखें तो NDA के लिए सीट बंटवारा अधिक मुश्किल नहीं था। लोकसभा की कुल 40 सीटों में बीजेपी और JDU को 17-17 सीटें मिली थीं जबकि लोजपा को 6 सीटें दी गई थीं।इसलिए अगर विपक्ष आगामी लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी पार्टी को जोरदार टक्कर देना चाहता है तो एक बेहतरीन रणनीति बनाकर काम करना होगा . पूर्व में की गई गलतियों से बचना होगा, ताकि ऐसा न हो की विपक्ष का कोई और दल बागी ना बने। सत्ताधारी पार्टी तो मजबूत हो चुकी है लेकिन अब विपक्ष के मजबूत होने की भी जरूरत है क्योंकि एक मजबूत विपक्ष किसी भी लोकतान्त्रिक देश के लिए बहुत ही जरूरी है क्योंकि कमजोर विपक्ष एक तानाशाह को जन्म देने का काम करता है . 

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