नोएडा भ्रष्टाचार के आरोप में फँसे अफसर की ताजपोशी में लगे हैं कई अफसर..

नोएडा। उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी के तौर पर स्थापित हो चुके गौतम बुद्ध नगर जिले के जिला चिकित्सालय में एक भ्रष्ट अफसर की ताजपोशी का ताना-बाना बुना जा चुका है। ये ताजपोशी वरिष्ठ अधिकारीयो को धोखे में रखकर की गई है। अब मामला सीएम कार्यालय तक पहुंच गया है। इसके बाद जिला चिकित्सालय ओर ताजपोशी कराने वालों में हड़कंप मच गया है।
 मिली जानकारी के मुताबिक बांदा के पूर्व सीएमओ अनिल कुमार की जांच एक भर्ती घोटाले में चल रही हैं। इस मामले की जांच राज्यपाल के हस्तक्षेप के बाद शुरू हुई थी। सूत्र बताते हैं की जांच के परिणाम सामने आए इससे पहले मामले में नया मोड़ आ गया। 
15 दिसंबर 2025 को अनिल कुमार श्रीवास्तव की तैनाती गौतम बुद्ध नगर के जिला चिकित्सालय में कर दी गई है। नियम अनुसार यदि किसी मामले में व्यक्ति की जांच चल रही हो तो उसे महत्वपूर्ण जिले में वरिष्ठ पद पर तैनाती नहीं दी जा सकती है। अनिल कुमार को यहां लाकर नया सीएमएस बनाने का ताना-बाना कुछ चालाक किस्म के कर्मचारी और अफसर कर रहे हैं। ऐसा करने के पीछे उनके स्वार्थ बताए गए हैं। अब इस मामले की जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय को लग गई है। देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में ऊंट किस करवट बैठता है। जानकारी के मुताबिक़ 
सीएमओ बांदा के पद पर रहते हुए आशा कार्यकर्ता भर्ती प्रकरण में अनियमितता की जांच में सहयोग न करने के दोषी पाए गए तत्कालीन सीएमओ अनिल श्रीवास्तव की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। अब उन पर आउट सोर्सिंग से की गईं 11 नियुक्तियों की जांच और बिना निविदा के सीएमओ कार्यालय के मीटिंग हाल और जिला टीबी अस्पताल में कराए गए कार्यों पर भी सवाल खड़े हुए हैं। शिकायतकर्ताओं की शिकायत पर शासन से तीन सदस्यीय टीम ने दोनों प्रकरणों की जांच की है। जांच टीम के समक्ष तत्कालीन सीएमओ ने अपना पक्ष भी रखा है। बदायूं जिले में वरिष्ठ परामर्शदाता के रूप में तैनात अनिल श्रीवास्तव के खिलाफ पदमाकर चौराहा निवासी विपिन कुमार ने जिलाधिकारी और अपर निदेशक चिकित्सा एवं परिवार कल्याण से शिकायत करते हुए आरोप लगाया था कि 27 फरवरी को अनिल कुमार श्रीवास्तव का बांदा सीएमओ पद से स्थानांतरण कर दिया गया था। उन्होंने अपने स्थानांतरण के बाद 22 व 26 फरवरी को पूर्व में किए गए डिस्पैच में एबीसीडीईएफ करके षड्यंत्र के तहत 11 की नियुक्तियां संबंधित लिपिक डिस्पैच के साथ मिलकर कीं।
उनके चहेते लिपिकों ने 27 फरवरी से तीन मार्च तक स्टेट बजट व एनएचएम बजट से लाखों रुपये के भुगतान जल्दी जल्दी कराए गए। इस मामले में चित्रकूट धाम मंडल के चिकित्सा एवं परिवार कल्याण संयुक्त निदेशक डॉ. अभय सिंह व डॉ. बीके ने जांच की। जांच टीम ने पाया कि आउट सोर्सिंग की भर्ती एवं डिस्पैच पंजिका में अनियमितता के आधार पर तत्कालीन सीएमओ को प्रथम दृष्टया दोषी प्रतीत होना बताया है।
 
रिपोर्ट - लखन यादव

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