जो तुम आ जाते एक बार...

आधुनिक युग की मीरा के रूप में जानी जाने वाली कवियत्री महादेवी वर्मा ने अपनी एक से बढ़कर एक रचनायें को पेश कर साहित्य के गुलशन को और भी गुलजार और खूबसूरत बनाया है .महादेवी वर्मा की हर एक रचना ऐसी है जो सीधे पाठको के हृदयतल को स्पर्श करती है .महदेवी वर्मा की हर एक रचना में कुछ ना कुछ नया और अनोखा देखने को मिलता है .इनकी अधिक्तर रचनाये प्रेम पर आधारित हैं लेकिन हर रचना में प्रेम को एक अलग ही अंदाज में बयां किया गया है .कभी प्रेम में व्याकुल किसी प्रेमिका के विरह का वर्णन किया हैं तो किसी रचना एक जरिये संसार में प्रेम की तालश  करती हुई नजर आई हैं .महादेवी के उन्ही खुबसूरत कविताओं के गुलदस्ते से हम आज कुछ चुनिंदा रचनाएं आपके समक्ष पेश कर कर रहें हैं हमें उम्मीद हैं कि आपको पसंद जरूर आयेगी ...

 


जो तुम आ जाते एक बार! 
कितनी करुणा कितने संदेश 
पथ में बिछ जाते बन पराग; 
गाता प्राणों का तार-तार 
अनुराग भरा उन्माद राग; 
आँसू लेते वे पद पखार! 
हँस उठते पल में आर्द्र नयन 
धुल जाता ओंठों से विषाद, 
छा जाता जीवन में वसंत 
लुट जाता चिर संचित विराग, 
आँखें देती सर्वस्व वार! 


2
फिर विकल हैं प्राण मेरे! 
तोड़ दो यह क्षितिज मैं भी देख लूँ उस ओर क्या है! 
जा रहे जिस पंथ से युग कल्प उसका छोर क्या है? 
क्यों मुझे प्राचीन बनकर 
आज मेरे श्वास घेरे? 
सिंधु की निःसीमता पर लघु लहर का लास कैसा? 
दीप लघु शिर पर धरे आलोक का आकाश कैसा? 
दे रही मेरी चिरंतनता 
क्षणों के साथ फेरे! 
बिंबग्राहकता कणों को शलभ को चिर साधना दी, 
पुलक से नभ भर धरा को कल्पनामय वेदना दी; 
मत कहो हे विश्व 'झूठे 
हैं अतुल वरदान तेरे!' 
नभ डुबा पाया न अपनी बाढ़ में भी क्षुद्र तारे, 
ढूँढ़ने करुणा मृदुल घन चीर कर तूफान हारे; 
अंत के तम में बुझे क्यों 
आदि के अरमान मेरे! 

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