नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व, विधि और मंत्र

पलामू : शारदीय नवरात्रि के पहले दिन माता दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा आराधना का मुहूर्त होता है आदिशक्ति के उपासना का पावन पर्व नवरात्रि 22 सितंबर से आरंभ होने जा रहा है 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विशेष पूजा का विधान है नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गे के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है मां दुर्गे की साधना भक्तों को शांन्ति और आत्मबल प्रधान करती है।
शैलपुत्री की उपवास से प्राप्त होते हैं दिव्य फल
मां दुर्गे के नौ स्वरूप और 9 रंग मां शैलपुत्री प्रतिपदा को 9 दुर्गे के प्रथम रूप देवी शैलपुत्रिका पूजा होता है।
माता शैलपुत्री की पौराणिक कथा
मां शैलपुत्री पुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना गया है पूर्व जन्म में वे राजा दक्ष की कन्या सती थी जिन्होंने भगवान शिव से विवाह किया था दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में शिव का अपमान देख सती ने आत्मदाह कर लिया इसके बाद भगवान शिव ने क्रोधीत होकर यज्ञ ध्वस्त कर दिया और सती के शरीर को लेकर बिचरण करने लगे तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर के 51 अंग विभक्त किए जो शक्तिपीठ कहलाए। इसके उपरांत सती ने हिमालय के घर जन्म लेकर शैलपुत्री के रूप में अवतार लिया। मां शैलपुत्री की आराधना करने से सांसारिक सुख और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है जीवन की बाधाएं दूर होती है और साधक उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ता है।
प्रथम दिन शैलपुत्री के पूजा विधि
स्नान : ध्यान कर शुभ मुहूर्त में पूजा प्रारंभ करें कलश स्थापना के बाद एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर अक्षत रखे और उसे पर मां शैलपुत्री का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें गंगाजल से उनका अभिषेक कर लाल वस्त्र लाल फूल लाल चंदन और लाल फल अर्पित करना विशेष रूप से फलदायी माना गया है अंत में माता की आरती कर प्रसन्न करें।
गाय का घी अर्पण करने का विशेष महत्व
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री का घी अर्पण करने का विशेष महत्व अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है मनी आता है कि इससे साधक को आरोग्य का वरदान प्राप्त होता है सभी रोग और व्याधियां दूर होकर शरीर निरोगी बनता है इसके साथ ही जीवन में दीर्घायु और ऊर्जा का संचार होता है।
माता शैलपुत्री की आराधना का मंत्र
पूजन के दौरान इस मंत्र का जाप करने से मां शैलपुत्री की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मां शैलपुत्री की आरती
शैलपुत्री मां बैल असवार,
करें देवता जय जयकार।
शिव-शंकर की प्रिय भवानी,
तेरी महिमा किसी ने न जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे,
जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू,
दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी,
आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो,
सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के,
गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं,
प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे,
शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो,
भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
रिपोर्टर : विक्रम यादव
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