संजीत यादव: सच्चाई की आवाज़, जो कभी झुकी नहीं
पलामू - जब मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं, ऐसे समय में संजीत यादव जैसे लोग पत्रकारिता के असली मायने को ज़िंदा रखते हैं। हर कोई जानना चाहता है कि संजीत यादव कौन हैं, उनकी पहचान क्या है और उन्होंने ऐसा क्या किया कि आम जनता से लेकर समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक उनकी आवाज़ बन गए। संजीत यादव ने अपने मीडिया करियर की शुरुआत बेहद साधारण हालातों में की। उन्होंने मीडिया क्षेत्र में लगातार दो वर्षों तक ईमानदारी और निष्ठा के साथ काम किया। इस दौरान उन्होंने ज़मीनी हकीकत को करीब से देखा, आम लोगों की समस्याओं को समझा और यह महसूस किया कि सच्ची पत्रकारिता सिर्फ खबर दिखाने तक सीमित नहीं होती, बल्कि न्याय दिलाने का माध्यम भी होती है। इन्हीं अनुभवों ने उन्हें एक बड़ा फैसला लेने के लिए प्रेरित किया। संजीत यादव ने किसी दबाव या डर के बिना अपने स्वतंत्र न्यूज़ चैनल “स्वतंत्र आवाज़” की नींव रखी और इसके हेड (प्रमुख) बने। इस चैनल का उद्देश्य साफ था—
सच को सामने लाना
दबे-कुचले लोगों की आवाज़ बनना
सिस्टम की खामियों को उजागर करना
संजीत यादव ने कभी भी अपने लक्ष्य से समझौता नहीं किया। उन्होंने न तो सत्ता का दबाव स्वीकार किया और न ही सच्चाई को छुपाने की कोशिश की। चाहे मामला भ्रष्टाचार का हो, गरीबों के अधिकार का हो या फिर प्रशासनिक लापरवाही का—संजीत यादव ने हर बार सच का साथ खुलकर दिया। “स्वतंत्र आवाज़” के माध्यम से उन्होंने कई ऐसे मामलों को उजागर किया, जो वर्षों से फाइलों में दबे पड़े थे। उनके न्यूज़ चैनल की रिपोर्टिंग से
कई पीड़ितों को न्याय मिला
प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़ी और समाज में बदलाव की एक नई उम्मीद जगी कई बार हालात बेहद मुश्किल रहे, चुनौतियाँ सामने आईं, लेकिन संजीत यादव कभी पीछे नहीं हटे। उनकी हिम्मत, ईमानदारी और संघर्ष ने उन्हें एक आम पत्रकार से एक जनता की आवाज़ बना दिया। आज संजीत यादव सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि सच, संघर्ष और स्वतंत्र पत्रकारिता का प्रतीक बन चुके हैं। उनका सफर उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो मीडिया को सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि समाज सेवा का माध्यम मानते हैं। संजीत यादव की कहानी यही सिखाती है— अगर इरादे मजबूत हों और सच्चाई का साथ हो, तो एक आवाज़ भी बदलाव ला सकती है।
रिपोर्टर - बिक्रम यादव

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