तिल्ली उरदानी की शासकीय माध्यमिक शाला में घोर लापरवाही

पवई : ग्राम तिल्ली उरदानी की शासकीय माध्यमिक शाला में जब एक पत्रकार के द्वारा निरीक्षण किया गया, तब चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आईं। विद्यालय में पढ़ने वाले मासूम बच्चों से झाड़ू लगवाया जा रहा था, जो न केवल शिक्षा के अधिकार कानून (RTE Act) 2009 का उल्लंघन है, बल्कि बच्चों की गरिमा और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है।
प्रचार शिक्षक रामलला बागरी को कक्षा के समय बच्चों से सफाई करवाते हुए देखा गया। शिक्षकों का कार्य विद्यार्थियों को शिक्षित करना है, न कि उन्हें शारीरिक श्रम में लगाना।
कक्षा में गुटखा खा रहे अतिथि शिक्षक
और भी हैरान करने वाली बात यह थी कि अतिथि शिक्षक रविशंकर खटीक कक्षा के भीतर बैठकर गुटखा (राजश्री) खाते हुए पाए गए। यह आचरण न केवल अनुशासनहीनता को दर्शाता है, बल्कि छात्रों पर बुरा प्रभाव डालने वाला है। इससे न केवल शिक्षक की प्रतिष्ठा पर आघात होता है, बल्कि स्कूल की गरिमा भी धूमिल होती है।
मिड-डे मील योजना में घोर अनियमितता
सरस्वती स्व-सहायता समूह, जो विद्यालय में मिड-डे मील (दोपहर का भोजन) की जिम्मेदारी संभालता है, वह भी अपने दायित्वों का ईमानदारी से पालन नहीं कर रहा है। भोजन ना तो तय समय पर दिया जाता है, और ना ही उसका गुणवत्ता स्तर संतोषजनक है।
बच्चों को कई बार भूखे पेट रहना पड़ता है या फिर उन्हें बाहर से कुछ खाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य और उपस्थिति दोनों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
विद्यालय परिसर में गंदगी का साम्राज्य
विद्यालय परिसर में चारों ओर गंदगी और कचरे का अंबार लगा हुआ था। शौचालय की स्थिति भी खराब थी। सफाईकर्मी नदारद हैं और स्कूल प्रशासन पूरी तरह से लापरवाह बन
पवई जनपद के 70% स्कूलों की स्थिति चिंताजनक
यह स्थिति केवल ग्राम तिल्ली उरदानी तक सीमित नहीं है। स्थानीय ग्रामीणों और छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि पवई जनपद के अंतर्गत लगभग 70% शासकीय विद्यालयों में शिक्षक समय पर नहीं पहुंचते मिड डे मील समय पर नहीं बनता और बच्चों की शिक्षा का तारा दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है समूह के लोग मनमानी तौर पर कार्य कर रहे हैं
जनता की मांग : सख्त जांच और कार्यवाही हो
स्थानीय ग्रामीण और अभिभावकों ने प्रशासन से यह मांग की है जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा तत्काल जांच कराई जाए दोषी शिक्षकों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए स्व- सहायक समूह के कार्यों की जांच कर नई व्यवस्था की जाए विद्यालय में साफ सफाई की नियति व्यवस्था सुनिश्चित हो मिड- डे - मील की गुणवत्ता और समय पालन पर साप्ताहिक निगरानी हो
निष्कर्ष
देशभर में बच्चों की शिक्षा को लेकर कई योजनाएं चल रही है लेकिन यदि जमीन स्तर पर ऐसे हालात रहेंगे तो बच्चों का भविष्य अधर में रह जाएगा एक और सरकार करोड रुपए शिक्षा पर खर्च कर रही है वहीं दूसरी ओर कुछ शिक्षक और स्थानीय संस्थाएं उसे पलीता लगाने में जुटी प्रशासन को इस और शीघ्र कदम उठाना एक मिसाल पेश करनी चाहिए ताकि अन्य विद्यालय में भी अनुशासन और गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके।
रिपोर्टर : सुरेश कुमार द्विवेदी
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