राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन अंतर्गत कृषि सखियों का पांच दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न
पन्ना -राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन अंतर्गत जिले में रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों को कम करने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कृषि विज्ञान केंद्र पन्ना में आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के प्रमंडल सदस्य संजीव खरे के सानिध्य में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में जिले के विभिन्न ग्रामों से चयनित 41 कृषि सखियों ने प्राकृतिक खेती के विभिन्न आयामों से संबंधित प्रशिक्षण प्राप्त किया। विशेषज्ञों ने पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में जैविक और प्राकृतिक खेती के सूक्ष्म अंतर को समझाया और बताया कि कैसे ये सखियां अगले तीन वर्षों तक किसानों को एक एकड़ जमीन पर प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करेंगी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती के मुख्य स्तंभों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाने के लिए जीवामृत और घनजीवामृत के निर्माण एवं उपयोग करने की वैज्ञानिक विधि सिखाई गई। साथ ही बीजामृत से बीज उपचार के जरिए फसलों को रोग एवं कीट व्याधि से बचाव एवं अंकुरण क्षमता में वृद्धि कर फसल उत्पादन करने की तकनीक बताई गई। आच्छादन एवं वापसा जैसे महत्वपूर्ण घटकों पर विस्तृत जानकारी दी गई, ताकि मृदा में नमी संरक्षण, कार्बनिक कार्बन एवं केचुओं की संख्या में वृद्धि तथा कम सिंचाई में फसल उत्पादन कर सकें। प्रशिक्षुओं को फसल विविधीकरण को अपनाने एवं प्राकृतिक खेती विधि को आम लोगों तक पहुंचाने की सलाह दी गई, जिससे किसानों को आर्थिक संबल के साथ साथ बेहतर उत्पादन एवं सुनिश्चित आय प्राप्त हो सके। पशुपालन में टीकाकरण, संतुलित पोषण एवं कृत्रिम गर्भाधान जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यक्रम में मृदा परीक्षण के महत्व एवं मृदा नमूना लेने की विधियों के बारे में भी कृषि सखियों को बताया गया। प्रशिक्षुओं को फसलों को रोगों एवं कीट व्याधियों से बचाने के लिए प्राकृतिक कीटनाशकों ब्रम्हास्त्र, अग्निअस्त्र और नीमास्त्र के निर्माण पर जोर दिया गया, जो कृषकों के प्रक्षेत्र पर आसानी से तैयार किए जा सकते हैं एवं रासायनिक कीट नियंत्रण की तुलना में आर्थिक एवं पर्यावरण की दृष्टि से बेहतर रूप से कारगर हैं।
इस कार्यक्रम में सखियों को प्राकृतिक विधि से सब्जी, फल एवं फूल की खेती करने पर विशेष सलाह भी दी गई। प्रशिक्षण के समापन सत्र में कृषि सखियों के प्राकृतिक खेती से संबंधित शंकाओं को दूर किया गया। साथ ही उनके द्वारा प्रशिक्षण के अनुभव भी साझा किए गए। कार्यक्रम के अंत में सभी कृषि सखियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए और अपने क्षेत्रों में जाकर किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करने का संकल्प दिलाया गया। समापन कार्यक्रम में केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. पी.एन. त्रिपाठी, तरुण पाठक, नोडल अधिकारी डॉ. रितेश जायसवाल, वैज्ञानिक डॉ. आर.पी. सिंह, रितेश बगोरा, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी जयचंद लोधी, देशराज प्रजापति भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन डॉ. आर.पी. सिंह द्वारा किया गया।

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