पपीते की पैदावार में गिरावट? हो सकती है बोरोन की कमी! जानिए समाधान

पपीता (Papaya) की खेती करने वाले किसानों के लिए बेहद उपयोगी है। बोरोन (Boron) एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है, और इसकी कमी से पौधों की वृद्धि और फल उत्पादन पर गंभीर असर पड़ता है। आइए इस विषय को विस्तार से समझते हैं:
बोरोन की कमी से घट जाता है पपीते का उत्पादन: जानें इसके लक्षण और प्रबंधन का तरीका
बोरोन की भूमिका क्या है?
बोरोन पौधों के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है, जो मुख्य रूप से:
कोशिका विभाजन में मदद करता है
फूलों व फलों के विकास में सहायक होता है
परागण और बीज निर्माण में भूमिका निभाता है
पौधे में शर्करा (sugar) के परिवहन को नियंत्रित करता है
पपीते में बोरोन की कमी के लक्षण (Symptoms of Boron Deficiency in Papaya):
फल विकृति (Fruit Deformation): फल छोटे, टेढ़े-मेढ़े और असामान्य रूप से विकसित हो सकते हैं।
फलों में दरार (Cracking): फल फट सकते हैं, जिससे उनकी गुणवत्ता और बिक्री दोनों प्रभावित होती है।
नरम तना (Soft Stem): तने में कमजोरी आ जाती है और पौधा गिर सकता है।
नए पत्तों का पीला या मुड़ा हुआ होना: नई पत्तियाँ पूरी तरह विकसित नहीं होतीं और अक्सर पीली व मुड़ी हुई होती हैं।
बढ़वार रुक जाना (Stunted Growth): पौधे की वृद्धि धीमी या रुक जाती है।
फूल झड़ना (Flower Drop): फूल गिर जाते हैं जिससे फल नहीं बनते।
बोरोन की कमी का प्रबंधन (Management of Boron Deficiency):
1. मिट्टी परीक्षण (Soil Testing):
खेती शुरू करने से पहले मिट्टी की जांच कराएं कि उसमें बोरोन की मात्रा कितनी है।
2. बोरोन उर्वरक का प्रयोग:
बोरैक्स (Borax):
मात्रा: 10–15 किग्रा प्रति हेक्टेयर
प्रयोग: मिट्टी में मिलाकर दें या पानी के साथ घोल बनाकर स्प्रे करें।
फोलिएर स्प्रे (पत्तियों पर छिड़काव):
0.2% बोरोन (बोरिक एसिड या सॉल्युबल बोरॉन) को पानी में मिलाकर हर 15–20 दिन में छिड़कें।
3. संतुलित पोषण प्रबंधन:
केवल बोरोन ही नहीं, बल्कि ज़िंक, कैल्शियम, मैग्नीशियम जैसे अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों का संतुलन भी बनाए रखें।
4. जैविक उपाय (Organic Options):
गाय के गोबर की खाद और जैविक फॉर्म्यूलों में भी बोरोन की मात्रा थोड़ी होती है।
कंपोस्ट में बोरॉन युक्त खनिज मिट्टी (boronated rock dust) मिलाना फायदेमंद होता है।
किसानों के लिए सुझाव:
बोरोन की कमी दिखते ही तुरंत स्प्रे करें, देर करने पर फल उत्पादन पर बड़ा असर हो सकता है।
हर 6 महीने में पत्तियों का पोषक तत्व परीक्षण कराएं।
उर्वरकों का संतुलन बनाकर रखें, क्योंकि अधिक कैल्शियम या नाइट्रोजन भी बोरोन को अवशोषित होने से रोकते हैं।
पपीते में बोरोन की कमी एक “छोटा दिखने वाला लेकिन बड़ा नुकसान करने वाला” पोषणीय दोष है। समय रहते इसकी पहचान और प्रबंधन से उत्पादन और गुणवत्ता दोनों को बचाया जा सकता है।
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