संसद में पेश होंगे SMC, इंश्योरेंस और कॉरपोरेट कानून में सुधार के बिल
संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर 2025 से शुरू होने जा रहा है। अठारहवीं लोकसभा का यह छठा सत्र विधायी मामलों में महत्वपूर्ण साबित होने वाला है, क्योंकि सरकार कई क्षेत्रों में बड़े सुधार और नया एजेंडा पेश करने की तैयारी कर रही है। इसमें फाइनेंस, कॉरपोरेट लॉ, गवर्नेंस और उच्च शिक्षा में बदलाव प्रमुख होंगे।
सरकार का एजेंडा न्यूनतम सरकारी हस्तक्षेप और अधिक शासन की दिशा में कदम बढ़ाने पर केंद्रित है। इस सत्र में तीन प्रमुख वित्तीय बिल पेश किए जाने वाले हैं:
सिक्योरिटी मार्केट कोड (SMC) बिल 2025 – SEBI अधिनियम, डिपॉजिटरीज एक्ट और सिक्योरिटी कॉन्ट्रैक्ट (रेगुलेशन) एक्ट को एकीकृत करने के लिए पेश किया जाएगा। इसका उद्देश्य भारत के कैपिटल मार्केट को सरल और प्रभावी बनाना है। इंश्योरेंस लॉ (अमेंडमेंट) बिल 2025 – इस बिल से लाइसेंसिंग प्रक्रिया तेज होगी और भारत की इंश्योरेंस कवरेज वैश्विक स्तर तक पहुंच सकेगी। कॉरपोरेट कानून (अमेंडमेंट) बिल 2025 – कंपनी एक्ट 2013 और LLP एक्ट 2008 में सुधार करेगा, जिससे व्यापारिक माहौल और अधिक सुगम और निवेशक-अनुकूल बनेगा।
इसके अलावा जन विश्वास विधायक 2025 नामक बिल छोटे तकनीकी या प्रक्रिया संबंधी उल्लंघनों के लिए जेल की सजा हटाकर मौद्रिक जुर्माना लागू करेगा, जिससे अदालतों पर बोझ कम होगा। रिपीलिंग एंड अमेंडिंग बिल 2025 लगभग 120 पुराने और बेवजह के कानूनों को हटाकर कानून व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाएगा।
शिक्षा क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव होगा। हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (HECI) बिल 2025 UGC और अन्य बॉडीज को हटाकर विश्वविद्यालयों को अधिक स्वायत्तता और पारदर्शिता देगा। यह सुधार नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के अनुरूप होगा। इंफ्रास्ट्रक्चर और पावर सेक्टर में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया तेज और पारदर्शी बनाने के लिए नेशनल हाईवे एमेंडमेंट एक्ट 2025 पेश किया जाएगा। एटॉमिक एनर्जी बिल 2025 न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर में सुधार लाएगा और निजी भागीदारी बढ़ाएगा।
विवाद समाधान और दिवालियापन कानून में भी बदलाव होंगे। इसके लिए आर्बिट्रेशन एंड कंसिलिएशन बिल 2025 वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली को अपडेट करेगा और इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड बिल 2025 से समाधान प्रक्रिया तेज होगी और क्रॉस-बॉर्डर इंसॉल्वेंसी प्रावधान जोड़े जा सकते हैं। सत्र में सरकार 2025-26 के लिए अनुदानों की पहली पूरक मांगों को भी पेश करेगी। इन सभी कदमों के माध्यम से यह शीतकालीन सत्र भारत के लंबी अवधि के विधायी सुधारों को गति देने में अहम साबित होगा।


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