इस तरह से करेंगे मटर की खेती तो होगा मोटा मुनाफा

मटर (Pea) की खेती एक लाभदायक और कम समय में फसल देने वाली खेती है। इसे रबी सीजन में उगाया जाता है और यह ठंडी जलवायु में अच्छी होती है। नीचे मटर की खेती की पूरी प्रक्रिया दी गई है:

1. जलवायु और भूमि

जलवायु: मटर ठंडी जलवायु में अच्छी बढ़ती है। 15-25°C तापमान इसके लिए उपयुक्त है।
भूमि: अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट भूमि सबसे अच्छी होती है। pH 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

2. भूमि की तैयारी

खेत को 2-3 बार अच्छी तरह से जोतें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए।
अंतिम जुताई में अच्छी तरह सड़ी गोबर की खाद (15-20 टन/हेक्टेयर) डालें।

3. बीज और किस्में

कुछ प्रमुख किस्में:

अर्ली वरायटी: अर्का प्रारंभ, पंत मटर-3
मध्यम वरायटी: पीएनएसएस-1, एपी-3
लेट वरायटी: बीआरपी-5, आज़ाद मटर-3

बीज की मात्रा: 60-80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

बीजोपचार: बोने से पहले बीज को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें – इससे नाइट्रोजन स्थिरीकरण में मदद मिलती है।

4. बुवाई का समय और तरीका

समय: अक्टूबर से नवंबर के बीच
विधि: कतारों में बुवाई करें। कतार से कतार की दूरी 30 से 45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखें।
बीज को 4-6 सेमी गहराई में बोना चाहिए।

5. सिंचाई

पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद करें।
फूल आने और फली बनने के समय सिंचाई बहुत जरूरी होती है।
अधिक पानी से बचें, नहीं तो पौधे पीले पड़ सकते हैं।

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