मटर उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्नत कृषि तकनीक

मटर (Pisum sativum) एक महत्वपूर्ण खाद्य फसल है जो प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है। भारत सहित कई देशों में मटर की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। मटर की उपज बढ़ाने और गुणवत्ता सुधारने के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग आवश्यक हो गया है। नीचे मटर उत्पादन की कुछ प्रमुख उन्नत तकनीकों का वर्णन किया गया है।

1. उचित बीज चयन और बीज उपचार

उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें जो रोगों और कीटों से मुक्त हों।

बीज उपचार के लिए तिलहन बीजों को फफूंदनाशक दवाओं जैसे थीरम, कैप्टान आदि से उपचारित किया जाता है।

बीज को अंकुरण से पहले जैविक उपचार जैसे त्राइकोडर्मा या राइजोबियम जैव उर्वरकों से भी उपचारित किया जा सकता है।

2. खेत की तैयारी

मटर के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है।

खेत को अच्छी तरह जुताई करके मिट्टी को ढीला और हवादार बनाना चाहिए।

खेत की तैयारी में 2-3 बार जुताई करने से मिट्टी में नमी बनी रहती है और खरपतवार नियंत्रण में मदद मिलती है।

3. उचित दूरी और पंक्ति व्यवस्था

मटर की बुवाई के लिए पंक्तियों की दूरी लगभग 30-45 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 5-10 सेंटीमीटर रखें।

इससे पौधों को पर्याप्त स्थान मिलेगा और हवा, धूप अच्छी तरह पहुंच सकेगी।

4. सिंचाई प्रबंधन

मटर की शुरुआत में हल्की सिंचाई करें जिससे बीज अच्छी तरह अंकुरित हो।

फूल आने और फल बनने के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी देना जरूरी है।

परन्तु जलभराव से बचाव करें क्योंकि मटर को अधिक पानी पसंद नहीं है।

5. पोषण प्रबंधन

मटर एक नाइट्रोजन फिक्सिंग फसल है, इसलिए नाइट्रोजन की आवश्यकता कम होती है।

खेत में उपजाऊता बढ़ाने के लिए 20-25 किलोग्राम फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करें।

राइजोबियम जैव उर्वरक का उपयोग करें, जिससे मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी पूरी हो।

6. रोग और कीट प्रबंधन

मटर में प्रमुख रोग फफूंदी रोग, पत्ती गलन, व्हाइट मोस आदि होते हैं।

रोग नियंत्रण के लिए कवकनाशक दवाओं का छिड़काव आवश्यक होता है।

कीट नियंत्रण के लिए नीम आधारित जैविक कीटनाशकों का भी प्रयोग किया जा सकता है।

7. आधुनिक तकनीकें

मशीनरी का उपयोग: खेत की तैयारी, बुवाई और कटाई के लिए आधुनिक मशीनों का उपयोग करें जिससे कार्य में समय की बचत हो।

सटीक कृषि (Precision Farming): मिट्टी की जाँच कर आवश्यकतानुसार खाद और पानी का प्रबंधन।

संवर्धित किस्मों का विकास: रोग-प्रतिरोधी और उच्च उपज देने वाली मटर की नई किस्मों का विकास।

8. कटाई और उपरांत प्रबंधन

मटर की कटाई सही समय पर करें जब फल पूरी तरह विकसित हों लेकिन ज्यादा पके न हों।

कटाई के बाद फसल को सही तरीके से सुखाना और स्टोर करना चाहिए ताकि गुणवत्ता बनी रहे।

मटर की खेती में उन्नत तकनीकों को अपनाकर उपज और गुणवत्ता दोनों को बेहतर बनाया जा सकता है। सही बीज चयन, उचित पोषण, रोग नियंत्रण और आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक होता है। इस प्रकार, मटर उत्पादन में नवाचारों को अपनाना कृषि क्षेत्र में सतत विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

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