पितृपक्ष में क्यों किया जाता हैं पिंडदान, जाने

PRATIBHA

हिन्दू धर्म में पिंडदान का विशेष महत्त्व माना गाया हैं. बाते दे की,  पिंडदान पितृपक्ष के दौरान मृत पूर्वजों के शांति के लिए किया जाता हैं.पिंडदान के लिए गयाजी का काफी महत्त्व हैं.लोग अपने पुर्वजों और पितरों की मोक्ष की कामना के लिए गयाजी में पिंडदान करने के लिए जाते हैं.पिंडदान का उद्देश्य सिर्फ अपने पितरों की आत्मा को शांति पहुंचना एवं मोक्ष प्राप्त कराना होता हैं .बता दे की, पिंडदान की क्रिया प्रयागराज संगम एवं वाराणसी जैसे पवित्र स्थालो पर भी की जाती है.वही पिंडदान के दौरान हम अपने पुर्वजों को गोलाकार चावल के लड्डू जिसे हिन्दू धर्म में पिंड भी कहते हैं ,उसे अपने पुर्वजों को अर्पित करते हैं. जो मृतक की आत्मा का प्रतीक माना जाता हैं.

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क्यों करते हैं पिंडदान ?

1 . पुण्य प्राप्ति

हिन्दू धर्म के अनुसार पिंडदान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती हैं. जिससे अपने पितरों के द्वारा हमे आशीर्वाद भी प्राप्त होता हैं.जिससे जीवन में खुशहाली बनी रहती हैं .

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2 .पितृदोष निवारण 

हिन्दू धर्म के अनुसार जब किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष का निर्माण हो रहा हो तो ,उस दोष को दूर करने के लिए लोग अपने पितरों का पिंडदान करते है.जिससे जीवन में या परिवार में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्य नहीं होती हैं .

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3.वंश वृद्धि  

हिन्दू धर्म  के अनुसार  पिंडदान करने से वंश की वृद्धि  होती हैं, और जीवन में किसी भी प्रकार की अशांति नहीं रहती हैं.

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4.मोक्ष प्राप्ति 

हिन्दू धर्म के अनुसार पिंडदान करने से मृत पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता हैं.जिससे वह सुखी मन से हमे अपना आशीर्वाद देते हैं .

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