अहमदाबाद में हुई 265 मौतों का ज़िम्मेदार कौन ?

अहमदाबाद में गुरुवार दोपहर हुए प्लेन क्रैश में अब तक 265 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं। इनमें से 241 मृतक विमान में सवार पैसेंजर्स और क्रू मेंबर्स थे। 5 मृतक उस मेडिकल हॉस्टल के हैं, जहां प्लेन क्रैश हुआ था।
विमान जिस बीजे मेडिकल कॉलेज हॉस्टल पर गिरा, वहां 50 से ज्यादा लोग मौजूद थे। हालांकि, अभी यह क्लियर नहीं हुआ है कि हॉस्टल में कितनी मौतें हुई हैं। 4 MBBS छात्र और एक डॉक्टर की पत्नी के मारे जाने की खबर आ रही है।
पीएम मोदी शुक्रवार सुबह अहमदाबाद पहुंचे। सबसे पहले वे घटनास्थल का दौरा करने पहुंचे। इसके बाद वे सिविल अस्पताल गए, जहां वे करीब 10 मिनट पीड़ितों से मिले।
एअर इंडिया की बोइंग 787 ड्रीमलाइनर फ्लाइट AI-171 अहमदाबाद से लंदन जा रही थी। इसमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और एक कनाडाई नागरिक समेत कुल 230 यात्री सवार थे।
इनमें 103 पुरुष, 114 महिलाएं, 11 बच्चे और 2 नवजात थे। बाकी 12 क्रू मेंबर्स थे। मृतकों में गुजरात के पूर्व सीएम विजय रूपाणी भी शामिल हैं, जबकि सिर्फ एक यात्री की जान बची है।
गुजरात के अहमदाबाद में एयर इंडिया के प्लेन क्रैश की दुखद घटना के बाद हर कोई स्तब्ध है। इस क्रैश में 265 लोगों की मौत हुई है। इसमें से 12 क्रू मेबर्स थे। इस बीच खबर आई है कि NSG ने क्रैश हुए विमान का ब्लैक बॉक्स हासिल कर लिया है और वह अब दुर्घटना के कारणों का पता लगाने की कोशिश करेंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ब्लैक बॉक्स होता क्या और किस तरह से इसकी मदद से क्रैश विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के कई राज यह खोल सकता है। इसके पीछे की टेक्नोलॉजी को अच्छे से समझते हैं।
एक ब्लैकबॉक्स दो हिस्सों में बंटा होता है। इसमें से एक होता है CVR जिसे कि Cockpit Voice Recorder कहते हैं। जैसा कि इसके नाम से ही समझ में आता है इसमें पायलट और सह-पायलट की बातचीत, अलार्म और कॉकपिट की आवाजें रिकॉर्ड होती हैं। वहीं दूसरा हिस्सा होता है FDR यानी कि Flight Data Recorder, इसमें विमान की ऊंचाई, गति, दिशा, इंजन की स्थिति आदि टेक्निकल डेटा रिकॉर्ड होता है। जब कोई विमान दुर्घटना का शिकार होता है, तो ब्लैक बॉक्स की मदद से यह समझा जाता है कि हादसे से पहले क्या हुआ था। इसे काफी मजबूत बिल्ड के साथ बनाया जाता है ताकि यह हादसे के बाद भी सुरक्षित बचा रह पाए। दुनियाभर में हुए कई विमान हादसों के पीछे रही कमियों को ब्लैक बॉक्स की मदद से सुलझाया गया है। इससे मिले डेटा के आधार पर ही एविएशन इंडस्ट्री से जुड़े कड़े नियम-कायदे समय के साथ तैयार हुए।
जब कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है, तो जांच एजेंसियां सबसे पहले ब्लैक बॉक्स खोजने की कोशिश करती हैं, क्योंकि उसी में विमान से जुड़ी सबसे अहम जानकारी रिकॉर्ड होती है। जैसा कि हमने बताया ब्लैक बॉक्स दो हिस्सों से बना होता है। एक हिस्सा पायलटों की आवाजें और कॉकपिट की बातचीत रिकॉर्ड करता है जिसे CVR कहते हैं। वहीं दूसरा हिस्सा विमान की तकनीकी जानकारी जैसे गति, ऊंचाई, दिशा, इंजन की स्थिति आदि को सेव करता है। इसे FDR कहते हैं। जब विमान क्रैश होता है, तो ब्लैक बॉक्स में मौजूद यह डेटा सुरक्षित रहता है, क्योंकि इसे बहुत मजबूत और बनाया जाता है। इस डिवाइस में एक छोटा सा सिग्नल देने वाला यंत्र भी होता है, जो पानी में गिरने पर भी 30 दिन तक अपनी लोकेशन की जानकारी देता है ताकि उसे ढूंढा जा सके। जब जांचकर्ता ब्लैक बॉक्स को प्राप्त करते हैं, तो वे इसमें रिकॉर्ड हुई सभी जानकारियों को खास कंप्यूटर सिस्टम की मदद से पढ़ते हैं। पायलटों की आखिरी बातचीत, अलार्म की आवाजें, और तकनीकी गड़बड़ियों की जानकारी से पता चलता है कि दुर्घटना से पहले क्या-क्या हुआ। इससे ये समझने में मदद मिलती है कि हादसे का कारण तकनीकी खराबी था, मौसम था, या मानवीय गलती। इस तरह ब्लैक बॉक्स दुर्घटना की असली वजह जानने में खास भूमिका निभाता है।
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