बिहार में PM मोदी की ताबड़तोड़ रैलियां, बदल सकते हैं चुनावी समीकरण!

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, चुनावी माहौल में गर्मी और सियासी सरगर्मी तेज होती जा रही है। अब इस चुनावी समर में होने जा रही है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एंट्री जो न सिर्फ माहौल को गरमा देंगी, बल्कि समीकरणों को भी हिला सकती हैं। पीएम मोदी की ये रैलियां कई जिलों में आयोजित होंगी, और इसके साथ ही बीजेपी और एनडीए के लिए यह चुनावी अभियान का सबसे अहम दौर बन जाएगा। आइए जानते हैं पूरी रणनीति और शेड्यूल।
बिहार में चुनावी बिगुल बज चुका है और अब मैदान में उतरने जा रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिनकी रैलियों को लेकर बीजेपी और एनडीए खेमे में जबरदस्त तैयारी चल रही है। पीएम मोदी 23 अक्टूबर से 3 नवंबर के बीच बिहार के चार चरणों में 12 जिलों में रैलियां करेंगे। माना जा रहा है कि इन रैलियों से न सिर्फ बीजेपी कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम होगा, बल्कि वोटरों के रुझान पर भी सीधा असर पड़ सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली शेड्यूल:
23 अक्टूबर:
सासाराम, गया, भागलपुर
एनडीए की मजबूत पकड़
भीड़ खींचने के लिए बड़े पैमाने पर आयोजन
विपक्ष भी इन सीटों पर फोकस कर रहा है
28 अक्टूबर:
दरभंगा, मुज़फ़्फ़रपुर, पटना
मिथिलांचल और राजधानी क्षेत्र
बीजेपी का पारंपरिक समर्थन क्षेत्र
पीएम मोदी की मौजूदगी से मजबूत संदेश
1 नवंबर:
पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, छपरा
सामाजिक समीकरणों की अहम भूमिका
विकास, बेरोजगारी और किसान मुद्दे रहेंगे केंद्र में
3 नवंबर:
पश्चिमी चंपारण, अररिया, सहरसा
सीमावर्ती और ग्रामीण क्षेत्र
अंतिम चरण में मतदाताओं पर असर डालने का प्रयास
प्रधानमंत्री की रैलियां सिर्फ एक चुनावी शो नहीं, बल्कि रणनीतिक वार हैं। इन रैलियों के जरिए बीजेपी नेतृत्व "विकास, भ्रष्टाचार-मुक्त शासन और रोजगार" जैसे मुद्दों को केंद्र में लाकर जनता से सीधे संवाद करेगा। एनडीए को भरोसा है कि मोदी की लोकप्रियता और उनका सीधा जुड़ाव इस बार भी वोटों को गोलबंद करने में मदद करेगा। इन सभाओं से ग्रामीण से लेकर शहरी मतदाता तक को प्रभावित करने की रणनीति है। विशेषकर युवाओं और किसानों के लिए तैयार किए गए एजेंडे को पीएम मोदी के भाषणों में प्रमुखता से शामिल किया जाएगा।
तो तैयार हो जाइए, बिहार की धरती एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आवाज़ से गूंजने वाली है। जहां एक ओर बीजेपी अपने सबसे बड़े चेहरे के सहारे चुनावी जीत की ओर देख रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इन रैलियों को चुनौती मानकर हर स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में जुटा है। क्या पीएम मोदी की मौजूदगी इस बार भी गेमचेंजर साबित होगी? इसका जवाब मिलेगा आने वाले कुछ हफ्तों में।
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