प्रधानमंत्री मोदी ने ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान से की बात,जानिए इस बात में क्या है खास

नई दिल्ली – मिडिल-ईस्ट में जबरदस्त तनाव के बीच कूटनीति की सबसे बड़ी मिसाल सामने आई है। रविवार की सुबह जब अमेरिका के ‘बंकर बस्टर’ ईरान के परमाणु केंद्रों पर गरज रहे थे, ठीक उसी वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान के बीच एक बेहद अहम बातचीत हो रही थी — और वो भी पूरे 45 मिनट तक!

प्रधानमंत्री मोदी ने खुद इस बातचीत की जानकारी दी, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर उन्होंने लिखा कि उन्होंने राष्ट्रपति पेजेश्कियान से मौजूदा हालात पर विस्तार से चर्चा की, खासकर हालिया हिंसा और बढ़ते तनाव को लेकर। पीएम मोदी ने संवाद, कूटनीति और शांति की वकालत करते हुए क्षेत्रीय स्थिरता की बहाली की बात दोहराई।

दूसरी ओर, राष्ट्रपति पेजेश्कियान ने भारत को एक सच्चा साझेदार और शांति का समर्थक बताया। उन्होंने मोदी को धन्यवाद दिया और कहा कि इस संकट की घड़ी में भारत की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।

ईरान पर अमेरिका का कहर, तीन परमाणु ठिकाने तबाह!

इस बातचीत से कुछ ही घंटे पहले अमेरिका ने ईरान के फोर्दो, इस्फहान और नतांज जैसे संवेदनशील परमाणु ठिकानों पर जोरदार हवाई हमले किए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हमलों की पुष्टि करते हुए कहा कि ये केंद्र पूरी तरह से नष्ट कर दिए गए हैं।

ट्रंप का साफ संदेश:“ईरान में अब या तो शांति होगी... या फिर ऐसी तबाही, जो पिछले आठ दिनों में हुई घटनाओं से भी ज्यादा भयानक होगी।”उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ईरान ने जवाबी हमला किया, तो अमेरिका और भी ज्यादा तीव्रता से कार्रवाई करेगा।

फोर्दो पर ‘बंकर-बस्टर’ बमों की बरसात

एक अमेरिकी अधिकारी के अनुसार, ईरान के पर्वतीय क्षेत्र में बने फोर्दो परमाणु संयंत्र को ‘बंकर-बस्टर’ बमों से निशाना बनाया गया — ये वही बम हैं जो जमीन के भीतर बने ठिकानों को तबाह करने के लिए बनाए गए हैं। ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि वे अपने वैज्ञानिकों के दम पर फिर से खड़े होंगे।

भारत की कूटनीति का बड़ा मोड़?

ऐसे माहौल में भारत का 'शांति दूत' की भूमिका निभाना, और ईरान जैसे अहम देश से खुलकर संवाद करना, एक बड़े कूटनीतिक कदम के तौर पर देखा जा रहा है। यह भी संकेत है कि भारत अब सिर्फ मूक दर्शक नहीं, बल्कि संकट में एक निर्णायक आवाज़ बनकर उभर रहा है।

तो सवाल ये है: क्या पीएम मोदी की ये 45 मिनट की बातचीत आने वाले दिनों में इस संकट को थामने की दिशा में पहला कदम साबित होगी? या फिर मिडिल-ईस्ट की आग और भड़केगी?
 

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