हम को यारों ने याद भी न रखा ,'जौन' यारों के यार थे हम तो..
CHANCHAL
सादा, लेकिन तीखी तराशी और चमकाई हुई ज़बान में निहायत गहरी और शोर अंगेज़ बातें कहने वाले हफ़्त ज़बान शायर, पत्रकार, विचारक, अनुवादक, गद्यकार, बुद्धिजीवी और स्व-घोषित नकारात्मकतावादी जौन एलिया एक ऐसे ओरिजनल शायर थे जिनकी शायरी ने न सिर्फ उनके ज़माने के अदब नवाज़ों के दिल जीत लिए बल्कि जिन्होंने अपने बाद आने वाले अदीबों और शायरों के लिए ज़बान-ओ-बयान के नए मानक निर्धारित किए। बात दे की जौन एलिया का जन्म 14 दिसम्बर 1931 में उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में हुआ था। जिसमे उनकी कुछ बेहद ही मशहूर शेर हम आपके के लिए लेकर आयें हैं.....
1-जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
2-मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं
3-ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहान में क्या
4-सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं
और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं
5-कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
6-मुस्तक़िल बोलता ही रहता हूँ
कितना ख़ामोश हूँ मैं अंदर से
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