"पिता की तस्वीर"...

CHANCHAL...

आठवें दशक के प्रमुख कवि-लेखक और संपादक मंगलेश डबराल ने अपना साहित्य की दुनिया में अनोखा योगदान दिया हैं बता दे साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित कवि-लेखक मंगलेश डबराल का जन्म 16 मई, 1948 को उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल ज़िले के काफलपानी गांव में हुआ था. वे जनसत्ता, हिन्दी पैट्रियट, और पूर्वाग्रह जैसे अख़बारों से जुड़े हुए थे. उनकी कुछ लोकप्रिय रचनाओं में पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, कवि का अकेलापन, हम जो देखते हैं, और नये युग में शत्रु शामिल हैं. उनकी कविताओं में सामंती बोध और पूंजीवादी छल-छद्म दोनों का ही प्रतिकार होता है. आपको बता दे की उनके चाहने वाले उनके यात्रा वृतांत को पढ़ने के लिए हमेशा ही ललायित रहते थे....ऐसे ही उनकी एक बेहद की मशहूर कविता से आपको भी रूबरू क्वाते हैं जो आपको आपके पिता के संघर्ष और पिता की जिम्मेदारियों का एहसास करवाएगी....

"पिता की तस्वीर".....

पिता की छोटी-छोटी बहुत-सी तस्वीरें 
पूरे घर में बिखरी हैं,
उनकी आँखों में कोई पारदर्शी चीज़ साफ़ चमकती है 
वह अच्छाई है या साहस,
तस्वीर में पिता खाँसते नहीं ,व्याकुल नहीं होते 
उनके हाथ-पैर में दर्द नहीं होता 
वे झुकते नहीं समझौते नहीं करते 

मैं हूँ कि चिंता करता हूँ व्याकुल होता हूँ 
झुकता हूँ समझौते करता हूँ 
हाथ-पैर में दर्द से कराहता हूँ 
पिता की तरह खाँसता हूँ 
देर तक पिता की तस्वीर देखता हूँ। 

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