योगी सरकार इस फैसले के खिलाफ राजनैतिक दलों का विरोध, सड़कों पर उतरे स्वामी प्रसाद मौर्य...

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की स्कूलों की मर्जर नीति के खिलाफ प्रदेश की मुख्या विपक्षी पार्टी सपा सहित कई राजनैतिक दलों ने योगी सरकार की इस नीति के खिलाफ विरोध जताया है। इसी क्रम में अब पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी मोर्चा खोल दिया है। पूर्व मंत्री ने अपनी जनता पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ लखनऊ की सड़कों पर उतरे और उन्होंने योगी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के नाम एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन के जरिये पूर्व मंत्री ने 5 मुख्य मांग की है। साथ ही उन्होंने प्रदेश सरकार पर गरीब, दलित, पिछड़े और वंचित समाज के बच्चों की शिक्षा छीनने का गंभीर आरोप भी लगाया है।
गरीब विरोधी नीति का आरोप-
अपनी जनता पार्टी के मुखिया व पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि योगी सरकार की स्कूलों की मर्जर नीति गरीबों के भविष्य पर सीधा हमला है। सरकार बच्चों से शिक्षा छीनकर उनका जीवन अंधकार में ढकेल रही है। अगर सरकार की ओर से यह फैसला वापस नहीं लिया गया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
दरअसल, यूपी में कम छात्रों वाले सरकारी स्कूलों को मर्ज किए जाने को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है। इसी क्रम में पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य अपने समर्थकों के साथ विधानसभा कूच करने जा रहे थे। तभी पुलिस ने उन्हें बैरिकेडिंग लगाकर रोक लिया था। जिसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्य सड़क पर ही बैठ गए।
आदेश वापस लेने की मांग
प्रदर्शन के दौरान पार्टी के कार्यकर्ताओं ने योगी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की है। वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य ने पुलिस अधिकारियों को ही राज्यपाल के नाम ज्ञापन को सौप दिया है। इस ज्ञापन के जरिये पूर्व मंत्री ने सरकार के 16 जून 2025 के उस आदेश को वापस लेने की मांग की है, जिसके तहत 50 से कम नामांकन वाले 27,764 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को दूसरे स्कूलों में मर्ज करने का निर्णय लिया गया है।
स्वामी प्रसाद ने कई गंभीर सवाल भी उठाए हैं। उन्होंने पत्र के जरिए बताया कि ग्रामीण और पिछड़े तबकों के बच्चों की शिक्षा खतरे में है। मर्जर के बाद इन बच्चों को 3 से 5 किलोमीटर दूर तक जाना पड़ेगा, जिससे स्कूल ड्रॉपआउट की दर बढ़ेगी, खासकर बालिकाएं शिक्षा से वंचित होंगी।
टीचरों की स्थिति पर जताई चिंता
स्वामी प्रसाद मौर्य ने बताया कि बच्चे मिड डे मील योजना से भी वंचित हो सकते हैं, क्योंकि स्कूल दूर होने पर उपस्थिति में गिरावट आएगी। उन्होंने कहा कि यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 21A और अनुच्छेद 46 का सीधा उल्लंघन है, जो हर बच्चे को निःशुल्क और नजदीक शिक्षा की गारंटी देता है। प्रदेश के अधिकांश स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। एक शिक्षक को 5 कक्षाएं पढ़ानी पड़ रही हैं।
पूर्व मंत्री ने कहा कि इसके साथ ही शिक्षकों को 31 विभागीय कार्य भी सौंपे गए हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य ने यह भी बताया कि प्रदेश के हजारों स्कूलों में मात्र एक ही शिक्षक कार्यरत है। कुल जरूरत से 6 लाख से अधिक शिक्षक कम हैं। ऐसे में स्कूल बंद करने की बजाय शिक्षकों की भर्ती और स्कूलों के सशक्तिकरण की आवश्यकता है।
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सुनवाई जारी-
प्रदेश के सरकारी प्राथमिक स्कूलों के विलय करने के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सुनवाई जारी है। इस मामले में विलय आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ के समक्ष सुनवाई हुई थी। पहली याचिका, सीतापुर के प्राथमिक व उच्च प्रथामिक स्कूलों में पढ़ने वाले 51 बच्चों ने दाखिल की है। जबकि, इसी मामले में एक अन्य याचिका भी दाखिल हुई है। इनमें बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा बीती 16 जून को जारी उस आदेश को चुनौती देकर रद्द करने का आग्रह किया गया है, जिसके तहत प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों की संख्या के आधार पर उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में विलय करने का प्रावधान किया गया है। याचियों ने इसे मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाला कहा है। साथ ही मर्जर से छोटे बच्चों के स्कूल दूर हो जाने की परेशानियों का मुद्दा भी उठाया गया है। याचिकाओं में, प्राथमिक स्कूलों की चल रही मर्जर की कारवाई पर तत्काल रोक लगाने की भी गुजारिश की गई है।
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