यूपी 2027 विधानसभा चुनावो को लेकर सियासत तेज...

उत्तर प्रदेश 2027 विधानसभा चुनावो को लेकर सियासत तेज होती नजर आ रही है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे है वैसे-वैसे राजनीतिक दल एक दूसरे पर हमला बोलने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। इसी क्रम में  अंबेडकरनगर जिले में हुई बुलडोजर कार्रवाई को लेकर समाजवादी पार्टी ने पोस्टर के जरिये जोरदार हमला बोल दिया है। इस पोस्टर में योगी सरकार की बुलडोजर कार्रवाई को रक्षक बताया गया है, जबकि सपा मुखिया अखिलेश यादव को रक्षक के रूप में दिखाया गया है। दरअसल,दरअसल लखनऊ स्थित समाजवादी पार्टी कार्यालय के पास एक पोस्टर लगाया गया है। इसमें अंबेडकरनगर की घटना को लेकर योगी सरकार और समाजवादी पार्टी के बीच तुलना की गई है। पोस्टर में लिखा है 'एक आंसू भी हुकूमत के लिए खतरा है', तुम ने देखा नहीं आंखों का समुंदर होना।' साथ ही इस पोस्टर में दो फोटो लगाई गई है। दोनों फोटो की तुलना करते हुए लिखा गया है कि 'फर्क साफ है।' इसमें से एक फोटो यूपी सरकार की बुलडोजर कार्रवाई की तुलना भक्षक से की गई है।

इस फोटो में किताब लिए एक बच्ची भाग रही है और पीछे से एक बुलडोजर आता दिखाया गया है। बुलडोजर पर उत्तर प्रदेश सरकार लिखा है। इसके साथ ही पोस्टर में एक दूसरी फोटो भी दिखाई गई है। इसमें समाजवादी पार्टी के मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को रक्षक बताया गया है, उस फोटो में अखिलेश यादव बच्ची को स्कूली बैग देकर सम्मानित करते हुए नजर आ रहे है। इस पोस्टर को अमेठी से सपा नेता जयसिंह प्रताप यादव ने लगवाया है। फिलहाल ये पोस्टर देखते ही देखते वायरल हो गया है।

अखिलेश यादव ने उठाया था बच्ची की पढ़ाई का खर्च-

21 मार्च को अंबेडकर नगर जिले के जलालपुर तहसील के अजईपुर गांव में प्रशासन ने सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाया था। इस कार्रवाई में झोपड़ियां भी हटाई गई थी। इसी बुलडोजर कार्रवाई के दौरान कक्षा-1 में पढ़ने वाली बच्ची का किताब लेकर भागने का एक वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो के वायरल होने के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर जमकर हमला बोला था। साथ ही हाल ही में सपा कार्यालय बुलाकर उसे सम्मानित भी किया था। अखिलेश यादव ने बच्ची को एक लाख रुपये दिए, साथ ही उसकी पढ़ाई का खर्च उठाने का भी वादा किया है।

मकानों को ढहाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई-

सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी संपत्ति को ध्वस्त करने से पहले 15 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है। कोर्ट ने प्रत्येक घर मालिक को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि मुआवजा प्रभावितों को देने के साथ भविष्य में सरकार के इस तरह के मनमाने फैसले रोकने के लिए भी है। सुप्रीम कोर्ट ने अंबेडकर नगर जिले के वायरल वीडियो का जिक्र करते हुए कहा कि इस कार्रवाई ने हमारी अंतरात्मा को झकझोर दिया है। आश्रय का अधिकार, कानून की उचित प्रक्रिया जैसी कोई चीज होती है। कोर्ट ने इसे समाज में गलत संदेश देने वाला भी कहा।

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.