मोदी सरकार का बजट या मास्टर स्ट्रोक ?

मोदी सरकार का बजट या मास्टर स्ट्रोक 

क्या हैं बजट 2023 -2024 के सियासी मायने?

क्यों विपक्ष कह रहा है पूंजीपतियों के लिए लूट हुई आसान

जानिए चुनाव से पहले बजट से कितनी ताकतवर हुई मोदी सरकार? 


देश का बजट यानी वित्तीय वर्ष का लेखा जोखा....वो लेखा जोखा जो देश को आगे चलने की फाइनेंशली ताकत देता है ...गिरने से रोकता है और अन्य देशों से आर्थिक स्थिति में लड़ना सिखाता है ....बजट का इतिहास काफी पुराना रहा है ..... वैसे बजट को देश को चलाने का बेस माना जाता है ...लेकिन हमेशा से इस देश में बजट को सियासी एंगल से भी खंगाला जाता है .... क्योंकि जिसकी सरकार , उसका वित्त मंत्री और उसका नजरियां .......इसीलिए हर साल बजट को लेकर राजनीति होना स्वाभाविक हो जाता है .. हर साल बजट पर सवाल उठाए जाते हैं ....औऱ किसी सियासी मामले में विपक्ष साथ हो ना हो लेकिन बजट को निशाने पर लेने के लिए साथ आ जाता है ...यानि कि देखा जाए तो बजट हर साल ही सियासी तूफान लेकर आता है ...जहां सत्ता पक्ष इसे जनता के हित में बताता है तो विपक्ष इसे केवल कूड़ा बताता है ....लेकिन इन सबके इतर ये कहना गलत नहीं होगा कि बजट से कहीं ना कहीं सरकार की आगे की सियासी रणनीति का अनुमान जरूर लगाया जा सकता है ... 

देखा जाए तो इस बार के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मध्यम वर्ग, किसान, युवा, महिला की झोली में जमकर गिफ्ट गिराए हैं.... पीएम नरेंद्र मोदी ने बजटको ऐतिहासिक बताते हुए इसे देश का विकास बढ़ाने वाला बताया है... वहीं दूसरी तरफ देखें तो इस इस बजट के जरिए मोदी सरकार ने मिशन 2024 का एजेंडा सेट कर दिया है.... विपक्षी दल भी इसे चुनावी बजट ही बता रहे हैं..पीएम मोदी ने भी बजट को ऐतिहासिक करार देते हुए मिशन 2024 की झलक दे दी.. एक तरह से अगर आम जनता की बात करें तो सरकार ने कहीं ना कहीं बजट में 33 हजार रुपये आपकी जेब में डालकर  लोकसभा चुनाव का एजेंडा सेट कर दिया है ....ऐजंडा क्या है चलिए आपको बताते हैं 

दरसल इस देश में 8 करोड़ लोग टैक्स देते हैं ....और अगर इस संख्या को चुनावी आकड़ों की तरह देखा जाए तो बहुत बड़ा है .....एक तरह से सरकार ने अपने फैसले से 8 करोड़ लोगों का खुश कर दिया है....  और जिन राज्यों  में चुनाव है, वहां इनकी संख्या 1 करोड़ 33 लाख के करीब है. जिस तरह से टैक्स घटाया है उस हिसाब से अधिकतम 33800 रुपये तक लोगों को फायदा होने जा रहा है. जाहिर है इसका फायदा सीधे तौर न सिर्फ टैक्स देने वालों को होगा, हाथ में पैसा बढ़ेगा तो खपत भी बढ़ेगी. इसका नतीजा ये होगा कि अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और रोजगार के साधन भी बढ़ेंगे.  

चुनाव से पहले टैक्स में छूट हाल ही के दिनों में मोदी सरकार का अब तक सबसे बड़ा फैसला है जिससे लोगों को सीधा फायदा मिलने जा रहा है.  इसके साथ ही साल 2015 में शुरू की गई पीएम आवास योजना पर मोदी सरकार ने बजट बढ़ा दिया है.  इस योजना ने बीते लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी.... बजट में पीएम आवास योजना के लिए राशि में 66 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है... इसे बढ़ाकर 79 हजार करोड़ कर दिया है. जाहिर तौर पर इस बढ़ोतरी का जिक्र बीजेपी 2024 के चुनाव में जरूर करेगी.इस योजना का ही असर था जिसकी वजह से महिलाओं ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जमकर वोट दिया था. 

हालांकि हर बार की तरह मोदी सरकार के इस बजट से विपक्ष के नेता खुश नहीं है. 

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा, 'न किसान, न जवान और न नौजवान, इस बजट में नहीं है कोई प्रावधान, अमृतकाल में अमृत के लिए तरह रहा है आम इंसान, पूंजीपतियों के लिए लूट हुई आसान.'

समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपाई बजट महंगाई एवं बेरोज़गारी दोनों को और बढ़ाता है. अखिलेश ने ट्वीट किया, 'भाजपा अपने बजट का दशक पूरा कर रही है, पर जब जनता को पहले कुछ न दिया तो अब क्या देगी.' उन्होंने कहा, 'भाजपाई बजट महंगाई एवं बेरोज़गारी को और बढ़ाता है. किसान, मज़दूर, युवा, महिला, नौकरीपेशा, व्यापारी वर्ग में इससे आशा नहीं निराशा बढ़ती है क्योंकि ये चंद बड़े लोगों को ही लाभ पहुंचाने के लिए बनता है.'

बीएसपी नेता मायावती ने कहा, 'केन्द्र सरकार जब भी योजना लाभार्थियों के आँकड़ों की बात करें तो उसे यह जरूर याद रखना चाहिए कि भारत लगभग 130 करोड़ गरीबों, मजदूरों, वंचितों, किसानों आदि का विशाल देश है जो अपने अमृतकाल को तरस रहे हैं. उनके लिए बातें ज्यादा हैं. बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर.'

पिछले कुछ सालों से दुनिया के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को भी झटका लगा है। कोरोना और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते काफी नुकसान उठाना पड़ा। महंगाई ने लोगों को परेशान किया। ऐसे में विपक्ष लगातार सरकार को घेरने में जुटा था। अब सरकार ने अपने इस बजट के जरिए हर वर्ग की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है। हां, ये माना जा सकता है कि बजट पूरी तरह से अगले साल होने वाले चुनावों को देखते हुए पेश किया गया है। यह भी कह सकते हैं कि पिछले कुछ राज्यों के चुनावों में जिस तरह से भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा, उससे सबक लेते हुए सरकार ने ये फैसला लिया है

 

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