कटाई के बाद फसल के नुकसान पर भी मिलेगा अब मुआवजा!

खेती किसानी एक जोखिम भरा पेशा है, जहां किसानों को हर कदम पर प्राकृतिक आपदाओं और मौसम की मार से जूझना पड़ता है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि कटाई के बाद खेतों में सूखने के लिए रखी गई फसलें बारिश, तूफान, ओलावृष्टि या अन्य आपदाओं की चपेट में आकर बर्बाद हो जाती हैं, लेकिन अभी तक किसानों को इस नुकसान पर मुआवजा नहीं मिलता था।

अब सरकार ने किसानों को राहत देते हुए एक बड़ा फैसला लिया है, कटाई के बाद खेतों में सूखने के लिए रखी गई फसलों के नुकसान पर भी मुआवजा दिया जाएगा।

क्या है नया नियम?

अब प्राकृतिक आपदा या असामान्य मौसम के कारण अगर किसान की कटी हुई फसल खेत में सूखने के दौरान नष्ट हो जाती है, तो सरकारी मुआवजा या बीमा योजना के तहत उसे नुकसान की भरपाई की जाएगी।

किन परिस्थितियों में मिलेगा मुआवजा?

बारिश या तूफान से कटी फसल खराब हो जाए
ओलावृष्टि, बाढ़, तेज हवाओं से नुकसान हो
खेत में सूखने के दौरान फसल नष्ट हो जाए
मुआवजा पाने के लिए क्या करें किसान?

तुरंत सूचना दें: जैसे ही फसल को नुकसान पहुंचे, किसान को संबंधित पटवारी, ग्राम सचिव या कृषि विभाग को सूचना देनी होगी।

मुआयना टीम आएगी: अधिकारी मौके पर आकर नुकसान का सर्वे करेंगे।

दस्तावेज जमा करें: आधार कार्ड, खसरा नंबर, फसल विवरण और बैंक खाता विवरण जैसे जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे।

मुआवजा मिलेगा: जांच के बाद निर्धारित राशि किसान के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी।

यह बदलाव क्यों जरूरी था?

कई बार फसल खेत से काट दी जाती है, लेकिन थ्रेशिंग या मंडी तक पहुँचने से पहले खेत में ही सूखने के लिए छोड़ी जाती है। ऐसे में अगर मौसम अचानक खराब हो जाए तो पूरी मेहनत पानी में बह जाती है। इस पर पहले मुआवजा नहीं मिलता था, जिससे किसानों को दोहरा नुकसान होता था, फसल भी गई और मुआवजा भी नहीं।

किसानों को होगा बड़ा फायदा

इस फैसले से देशभर के लाखों छोटे और मध्यम किसान लाभान्वित होंगे, जिनके पास स्टोरेज या मंडी तक तुरंत पहुंच की सुविधा नहीं होती। अब उन्हें फसल कटाई के बाद भी सुरक्षा मिलेगी।

किसानों की भलाई के लिए उठाया गया यह कदम स्वागत योग्य है। अब सिर्फ बोई गई या खड़ी फसल ही नहीं, बल्कि कटाई के बाद की फसल के नुकसान पर भी सरकार जिम्मेदारी लेगी। यह नीति किसानों की आर्थिक स्थिरता को मजबूती देगी और उनमें भरोसा बढ़ाएगी कि वे अकेले नहीं हैं।

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