प्रशांत किशोर का बड़ा बयान: बिहार चुनाव में ‘कुछ गलत हुआ
जन सुराज के संस्थापक और चर्चित चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (PK) ने बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद पहली बार खुलकर अपना बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चुनाव में ‘कुछ गलत हुआ’, हालांकि उनके पास अभी इसके कोई ठोस सबूत नहीं हैं।
PK ने दावा किया कि चुनाव के दौरान मतदान के रुझान जमीन पर मिली प्रतिक्रिया से मेल नहीं खाते थे और आखिरी दिनों में NDA की तरफ से महिलाओं को 10-10 हजार रुपये बांटकर वोट प्रभावित किया गया। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया मतदाताओं के फैसले को निर्णायक रूप से प्रभावित करने वाली थी। उन्होंने हार के कारण गिनाते हुए कहा कि पहला फैक्टर यह था कि मतदान से ठीक पहले तक 50 हजार महिलाओं को ‘जीविका दीदी योजना’ के तहत पैसे भेजे गए। दूसरा कारण ‘लालू फैक्टर’ था—लोगों को डर था कि अगर जन सुराज को वोट दिया और पार्टी नहीं जीती, तो कहीं जंगलराज वापस ना आ जाए।
PK ने कहा कि इस चुनाव में कुछ अदृश्य शक्तियां भी काम कर रही थीं, जिन दलों के बारे में लोग जानते तक नहीं थे, उन्हें लाखों वोट मिले। उन्होंने कहा, “लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि मैं EVM की शिकायत करूं, लेकिन मेरे पास कोई सबूत नहीं है। कुछ चीजें समझ में नहीं आतीं। प्राथमिक रूप से लगता है कि कुछ गलत हुआ है, लेकिन क्या—यह अभी नहीं कह सकता।”
PK ने यह भी कहा कि जन सुराज को बड़ा नुकसान यह हुआ कि कुछ मतदाताओं ने मान लिया कि पार्टी जीतने की स्थिति में नहीं है, जिससे उन्हें डर था कि अगर वे वोट देंगे और पार्टी नहीं जीतेगी, तो ‘जंगलराज’ लौट आए। इस डर ने कई लोगों को उनसे दूर कर दिया। हालांकि हार के बावजूद PK ने आलोचकों को जवाब दिया और कहा, “जो लोग आज मेरी राजनीतिक ऑबिच्युरी लिख रहे हैं, वही पहले मेरी जीत पर तालियां बजाते थे। सच तो यह है कि मैं अभी खत्म नहीं हुआ। कहानी अभी बाकी है।”
आपको बता दें जन सुराज पार्टी ने इस चुनाव में 243 में से 238 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन एक भी सीट नहीं मिली। पार्टी को लगभग 3.4% वोट शेयर मिला, और ज्यादातर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। PK ने इसे ‘क्रशिंग डिफीट’ बताया, लेकिन कहा कि जमीन पर उनकी कैंपेन को अच्छी प्रतिक्रिया मिली और हार की वजहों का वे गंभीर समीक्षा कर रहे हैं। प्रशांत किशोर ने चुनाव हार के बाद मतदाता पैटर्न, महिलाओं को नकद राशि वितरण और ‘जंगलराज’ की वापसी के डर को हार की प्रमुख वजहें बताया। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया पर संदेह जताया, लेकिन राजनीतिक भविष्य को लेकर आशावादी बने रहे।


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