लेखक अरविन्द त्रिपाठी के नवीन व्यंग्य संग्रह "भुग्गा जी के किस्से" के कवर का अनावरण किया गया

प्रयागराज : आज दिनांक 07.08.2025 को विधानसभा, उत्तर प्रदेश के प्रेस रूम में लेखक अरविन्द त्रिपाठी के नवीन व्यंग्य संग्रह "भुग्गा जी के किस्से" के कवर का अनावरण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बरिष्ठ पत्रकार एवं उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के पूर्व अध्यक्ष विजय शंकर 'पंकज' ने की। आज के इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि मीडिया सलाहकार, विधानसभाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश विधानसभा, श्रीधर अग्निहोत्री रहे।
स्वागत के उपरान्त लेखक अरविन्द त्रिपाठी ने व्यंग्य संग्रह के सम्बन्ध में सूचित किया कि 40 व्यंग्यों की इस पुस्तक की भूमिका वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री गोपाल चतुर्वेदी जी ने लिखी है, जो सम्भवतया उनकी अंतिम कृति होगी। पुस्तक का कथानक एक किरदार "भुग्गा जी" के इर्द-गिर्द स्थित है। दरअसल, आजकल कार्यक्षेत्रों में एक विशेष प्रकार की प्रजाति बहुसंख्यक में हैं जो सिस्टम को धीमा करते जा रहे हैं। सिफारिश और तिकड़म से महत्वपूर्ण स्थान पा चुके ये लोग काम को कैसे नहीं करना है, इसकी महारत रखते हैं। पहले प्रशासक ऐसे लोगों को चिन्हित कर कम महत्त्व के पदों पर शिफ्ट कर देते थे पर इनकी बढती संख्या बड़ी समस्या बनती जा रही है। पुस्तक में "भुग्गा जी" अपने जीवन में पुलिस, शिक्षक, पत्रकार, अधिकारी और कारपोरेट के कर्मचारी के रूप में मिलते हैं। उनकी गलतियाँ, आत्मविश्वास और अपने मत के प्रति दृढ़ता का निरूपण इस पुस्तक में किया गया है। यह पुस्तक शीघ्र की भारत बुक सेंटर के साथ ही ई-प्लेटफार्म अमेजन और नॉट नल. काम पर होगी।
विशिष्ट अतिथि श्रीधर अग्रिहोत्री ने लेखक के सम्बन्ध में बोलते हुए कहा कि अरविन्द त्रिपाठी कानपुर के रहने वाले पूर्व पत्रकार, शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। विभिन्न समाचार पत्रों में सम्पादकीय पृष्ठ पर राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय मुद्दों पर विचार प्रस्तुत करते रहते हैं। इस सदी के प्रथम दशक में जल-पुरुष राजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में माँ गंगा के शुद्धिकरण के लिए चलाये गए देश-व्यापी जन-जागरण अभियान में इनका महत्वपूर्व योगदान रहा है। वर्तमान में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश के मुख्यालय में परामर्शदाता के पद पर कार्यरत हैं। यह इनके प्रथम व्यंग्य संग्रह का मुख-पृष्ठ है, जोकि पुस्तक के कथ्य को सुस्पष्ट करता है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विजय शंकर 'पंकज' ने पुस्तक के कवर के कवर की सराहना की और लेखक के उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि आजकल व्यंग्य लेखन का अर्थ केवल मत्ता और शासन के खिलाफ लिखता ही समझा जाने लगा है, जबकि सुझावात्मक और संश्लेशणात्मक लेखन के माध्यम से व्यवस्था की बिदूपताओं को सामने लाया जा सकता है। मुझे विशवास है कि इस व्यंग्य संग्रह के माध्यम से सरकार और समाज को नयी दिशा देने में सहायता मिलेगी।
कार्यक्रम के अंत में विभिन्न मीडियाकर्मियों ने अपनी जिज्ञासाओं के दृष्टिगत लेखक से चर्चा की। कार्यक्रम का समापन वरिष्ठ पत्रकार नीरज महेरे के धन्यवाद प्रस्ताव से हुआ।
रिपोर्टर : डी के मिश्रा
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