भारत में इस दाल को क्यों माना जाता है नॉनवेज?

हमारे भारत देश के लोग खान पान के बड़े शौखीन हैं. भारत में मिलने वाले मसाले दाल सब्जी और अनाज शायद ही कहीं और मिलता होगा. हमारे देश में लोग जीतने खाने पीने के शौखीं हैं उतने ही अधिक मात्रा में हमारे देश में खाने के प्रकार हैं. लेकिन कई साड़ी चीजिन ऐसी है जिन्हें लोग नहीं खाते हैं. जैसे भारत में 67% लोग लहसुन प्याज जैसी जड़ वाली सब्ज़ियां नहीं खाते. वहीं, हिंदुओं और सिखों में से करीब पांच में से एक व्यक्ति जड़ वाली सब्ज़ियां नहीं खाता है. इसके पीछे लोग अलग अलग तरह कि भावना रखते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में एक दाल ऐसी है जिसे लोग नॉनवेज मानते हैं. जिसकी वजह से कई लोग इसका सेवन नहीं करते हैं. आइये जानते हैं इस दाल के बारे में और इसे क्यों नॉनवेज मन गया है? 


इस दाल को मानते हैं नॉनवेज?

दरअसल मसूर दाल को कई लोग नॉनवेज की क्षेणी में रखते हैं. बंगाली घरों में मसूर दाल रोजाना खाने का हिस्सा होती है, जिसे प्रोटीन से भरपूर माना जाता है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर वेज दिखने वाली मसूर दाल नॉनवेज कब बन गई? चलिए जानते हैं.


हाई प्रोटीन के कारण भी नहीं खाते

लाल मसूर दाल को हाई प्रोटीन सामग्री वाला माना जाता है. जिसके कारण आहार संबंधी प्रभाव के मामले में इसकी तुलना मांस से की जाती है. हाई प्रोटीन की वजह से लाल मसूर की दाल काम शक्ति को प्रोत्साहित करती है साथ ही क्रोध को भी बढ़ाती है. लाल मसूर की दाल खाने से मन में उग्रता का भाव आता है. लाल मसूर दाल के बारे में माना जाता है कि यह सुस्ती को बढ़ावा देती है. ये सभी चीजें साधु-संतों और ब्राह्मण के लिए ठीक नहीं होती इसलिए प्राचीन समय से ही हमारे विद्वानों ने लाल मसूर की दाल खाने पर पाबंदी लगाई हुई है.

 

 

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