पुरी रथ यात्रा भगदड़ कांड: DM‑SP का तबादला, दो अफसर सस्पेंड

पुरी में भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा के दौरान मची भगदड़ में तीन श्रद्धालुओं की मौत और दर्जनों के घायल होने के बाद ओडिशा सरकार ने कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने घटना के कुछ ही घंटों के भीतर पुरी के जिलाधिकारी (DM) और पुलिस अधीक्षक (SP) को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। साथ ही दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया गया है।

शनिवार सुबह करीब 4:30 बजे पुरी के गुंडिचा मंदिर के पास भारी भीड़ के कारण भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। हजारों की संख्या में जुटे श्रद्धालुओं के बीच अचानक धक्का-मुक्की शुरू हो गई, जिससे तीन लोगों की जान चली गई और लगभग 50 लोग घायल हो गए। मृतकों में दो महिलाएं और एक बुजुर्ग पुरुष शामिल हैं।

मृतकों की पहचान

प्रभाती दास (55 वर्ष) — निवासी: जिला खुरदा

बसंती साहू (60 वर्ष) — निवासी: जिला खुरदा

प्रेमकांत मोहंती (70 वर्ष) — निवासी: जिला खुरदा

घायलों का इलाज पुरी जिला अस्पताल और Cuttack के SCB मेडिकल कॉलेज में कराया जा रहा है।

घटना के बाद राज्य सरकार ने तत्परता दिखाते हुए बड़ा कदम उठाया: पुरी के जिलाधिकारी सिद्धार्थ एस. स्वैन और पुलिस अधीक्षक बिनीत अग्रवाल का तबादला कर दिया गया है। नए जिलाधिकारी के रूप में IAS अधिकारी चंचल राणा और नए एसपी के रूप में IPS पिनाक मिश्रा को नियुक्त किया गया है। दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी — DCP विष्णुपति और कमांडेंट अजय पाधी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री माझी ने घटना की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय विशेष जांच समिति (SIT) के गठन की घोषणा की है। इस समिति की अध्यक्षता विकास आयुक्त करेंगे और यह 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी। समिति का उद्देश्य सुरक्षा में चूक और जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका का विश्लेषण करना है। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 25 लाख की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। साथ ही सभी घायलों का इलाज राज्य सरकार की ओर से मुफ्त कराया जा रहा है। गंभीर रूप से घायल लोगों को विशेष एयर एंबुलेंस के जरिए कटक रेफर किया गया है।

मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने घटना पर दुख जताते हुए कहा: “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे सबसे पवित्र त्योहारों में से एक के दौरान ऐसा हादसा हुआ। हम किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेंगे। प्रशासनिक जवाबदेही तय की जाएगी।”

पूर्व मुख्यमंत्री और BJD नेता नवीन पटनायक ने इस हादसे को “गंभीर प्रशासनिक विफलता” करार दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में पूरी तरह असफल रही है। “आज की भगदड़ सरकार की glaring incompetence को उजागर करती है। इतने बड़े आयोजन के लिए कोई उचित crowd management नहीं किया गया।” – नवीन पटनायक

रथ यात्रा को देखने देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं। इस साल भी करीब 12 लाख लोगों के आने का अनुमान था। भीड़ नियंत्रण के लिए पुलिस बल, होम गार्ड, ड्रोन, CCTV आदि की व्यवस्था की गई थी, लेकिन भगदड़ से यह स्पष्ट हो गया कि सुरक्षा प्रबंधन पूरी तरह विफल रहा।

राज्य सरकार ने संकेत दिया है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर और भी कार्रवाई हो सकती है। भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए रथ यात्रा जैसे आयोजनों के लिए एक स्थायी SOP (Standard Operating Procedure) तैयार की जाएगी। यह हादसा न केवल श्रद्धालुओं की आस्था को झकझोर गया है, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही की नई मिसाल भी कायम कर गया है। रथ यात्रा जैसे धार्मिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा को अब केवल ‘व्यवस्था’ नहीं, ‘प्राथमिकता’ माना जाएगा।

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