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राजधानी लखनऊ में खुलेआम चलता मीट का अवैध बाजार-- रहनुमा कौन?

 

राजधानी लखनऊ में खुलेआम चलता मीट का अवैध बाजार--- रहनुमा कौन?  

योगी आदित्यनाथ वो नाम जिसका अर्थ ही संकल्प है जो ठान लेते हैं वो करके ही दम लेते हैं और इसी तेवर और नीति के आधार पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाये गए और सबसे बड़ी बात जनता ने उन्हें 37 साल पुराने मिथक को तोड़कर दोबारा मुख्यमंत्री भी बनाकर उनके शासन प्रणाली पर अपनी मुहर लगायी। एक मुख्यमंत्री के तौर पर तो योगी आदित्यनाथ लगभग खरे उतरे हैं पर अब भी कुछ मसले ऐसे हैं जिनमे उनकी अच्छी मंशा होने के बाबजूद सरकारी अफसर उनकी नीति का मखौल उड़ाते नज़र आ रहे हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं। मीट के यानि माँस के व्यापार की जिसके लिए तमाम सरकारी नियमों का पालन करना पड़ता है और लाइसेंस समेत जरुरी दस्तावेज भी रखने होते हैं। पर फ़िलहाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों का मीट विक्रेता और सरकारी अफसर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता 


अब आपको बताते हैं कि जब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो बतौर मुख्य्मंत्री योगी आदित्यनाथ ने अवैध बूचड़खाने और मीट की दुकानों पर कार्यवाही की थी पर उस कार्यवाही के बाद वहीं हुआ जो हमेशा होता आया है मामला ढाक के तीन पात। 

सज गयी अवैध मीट की दुकानें सरकारी आदेश और सरकार को ठेंगा दिखाते हुए क्योंकि अफसर और इन अवैध कारोवारियों के बीच आंतरिक गठबंधन जो बन चुका था यानि कानून बनाओ और फिर कानून से बचाने के लिए पैसा लाओ। कहने में कोई गुरेज नहीं क्योंकि जो मैं आपको बता रहा हूँ वो आपको आँखों के सामने कहीं भी दिख जायगा। पर जब कार्यवाही की बात की जाती है तो कार्यवाही रुपी गेंद यहाँ के वहां सिर्फ फेंकी जाती है पर कार्यवाही के नाम पर कुछ भी नहीं होता। अब कारण भी जान लेते हैं पहले मीट की दुकानों का नियमितीकरण, लाइसेंस, जरुरी दिशानिर्देश सब नगर निगमों  के द्वारा नियंत्रित किये जाते थे तो इनकी जिम्मेदारी भी तय हो गयी थी पर 2017 के बाद से ये काम खाद्य एवं सुरक्षा विभाग के पास चला गया था तो सोने पर और सुहागा हो गया जो दशा पहले ही दम तोड़ रही थी उसके हालात और भी ख़राब हो गए। और जगह जगह मांस मीट के अवैध व्यापार शुरू हो गए। 

 

Yogi Adityanath effect: Meat sellers in ...

 

अब जान लेते हैं कि हम इस मीट के व्यापार को अवैध क्यों मानते हैं? तो जान लीजिये कि क्या क्या आवश्यक नियम हैं माँस की दुकानो को संचालित करने के लिए जिसका पालन फ़िलहाल लखनऊ में गिने चुने लोग ही करते हैं।  बाकी सब अवैध रूप से खुले आम व्यापार करते लखनऊ की मुख्य मार्ग पर नज़र आ जाते हैं 

 

अब जान लीजिये नियम ---


1. मीट की दुकानों से कहा गया है कि वे धार्मिक स्थलों के मुख्य द्वार से कम से कम 100 मीटर दूर हों।

2. उनकी दुकानें सब्जी की दुकानों के पास नहीं होनी चाहिए।

3. दुकानदार जानवरों या पक्षियों को दुकान के अंदर नहीं काट सकते।

4. मीट की दुकानों पर काम करने वाले सभी लोगों को सरकारी डॉक्टर से हेल्थ सर्टिफिकेट लेना होगा।

5. मीट की क्वालिटी को किसी पशु डॉक्टर से प्रमाणित कराना होगा।

6. शहरी इलाकों में लाइसेंस पाने के लिए आवेदकों को पहले सर्किल ऑफिसर और नगर निगम की इजाजत लेनी होगी।

7. ग्रामीण इलाकों में मीट दुकानदारों को ग्राम पंचायत, सर्किल अफसर और एफएसडीए से एनओसी लेनी होगी।

8. मीट के दुकानदारों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे बीमार या प्रेगनेंट जानवरों को न काटें।

9. मीट के दुकानदारों को हर छह महीने पर अपनी दुकान की सफेदी करानी होगी।

10. उनके चाकू और दूसरे धारदार हथियार स्टील के बने होने चाहिए।

11. मीट की दुकानों में कूड़े के निपटारे के लिए समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।

12. बूचड़खानों से खरीदे जाने वाले मीट का पूरा हिसाब-किताब भी रखना होगा।

13. मीट को इंसुलेटेड फ्रीजर वाली गाड़ियों में ही बूचड़खानों से ढोया जाए।

14. मीट को जिस फ्रिज में रखा जाए, उसके दरवाजे पारदर्शी होने चाहिए।

15. सभी मीट की दुकानों पर गीजर भी होना आवश्यक है।

16. दुकानों के बाहर पर्दे या गहरे रंग के ग्लास की भी व्यवस्था हो ताकि जनता को नजर न आए।

17. एफएसडीए के किसी मानक का उल्लंघन होते ही लाइसेंस तुरंत रद्द कर दिया जाए। 

ये कुल 17 नियम है जिनका पालन मीट विक्रेता नहीं कर रहे  


तो जाना आपने इतने नियम कानून हैं पर आपको लगता है कि इतने नियमो में से कोई भी नियम का पालन हो रहा हो। तो आज हम पूरे प्रदेश के बात नहीं करेंगे बल्कि केवल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की ही कर लेंगे जहाँ तमाम बड़े अफसरों  के साथ खुद उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री भी बैठते हैं। यानि जहाँ मुख़्यमंत्री खुद बैठते हैं वहां पर उनका आदेश कितना असरदार है। यही देख लीजिये 

 

पहले आपको बताते हैं राजधानी के व्यस्ततम टेढ़ी पुलिया चौराहे के पास जहाँ पर मांस की पूरी मंडी ही लगती है लाइन से 20 दुकानें जिन पर मांस बेपर्दा टंगा हुआ और खुले आम माँस काटने की क्रिया बताती है कि इनको किसी से कोई डर नहीं ये किसी से नहीं डरते क्योंकि इनको हमारे अफसरशाही ने निर्भय बना दिया है। और तो और मंदिर के पास माँस की दुकानों की मनाही है योगी सरकार का कड़ा आदेश है तो लेकर चलते है कपूरथला चौराहे के पास जहाँ एक हनुमान मंदिर से महज 20 मीटर की दूरी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए माँस काटा और बेचा जाता है।  

 

तो ये भी जानिए आप लखनऊ की अवैध मीट मंडी अब अवैध इसलिए बोल रही हूँ क्योकि ये किसी भी सरकारी दिशा निर्देश का पालन नहीं करते तो फिर लाइसेंस मिलना संभव ही नहीं क्योंकि नगर निगम से लाइसेंस देने का अधिकार वापिस लिया जा चुका है इस बात पर जानकारी देते हुए नगर निगम लखनऊ के पशु कल्याण अधिकारी डॉ अभिनव वर्मा ने कहा कि अब इन अवैध मीट मंडियों पर कार्यवाही का अधिकार खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन को मिल चुका है

 

 वहीं जब नगर निगम लखनऊ के अपर नगर आयुक्त डॉ अरविन्द कुमार राव से बात की गयी तो उन्होंने इसको एफएसडीए यानि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में होना बताया। और बताया कि नगर निगम ने बीते 6 साल में किसी भी मीट लाइसेंस के लिए अपनी एनओसी नहीं दी है पर गौर करने वाली बात है क्योंकि लाइसेंस भले ही अब खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन देता हो पर लाइसेंस के लिए एनओसी नगर निगम ही देता है। पर फ़िलहाल दूकानदार अगर बिना किसी कागजी कार्यवाही के खुलेआम मीट काटता और बेचता है है तो तो बिलकुल सीधे तौर पर सिस्टम ही जिम्मेदार है।  


        
अब अब सीधे इसके मामले की शिकायत  राजधानी लखनऊ के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन से बात की गयी तो लखनऊ के सहायक आयुक्त (खाद्य) विजय प्रताप सिंह ने बताया कि हमने 2018 से समय से अब तक हमारे द्वारा कोई भी लाइसेंस जारी नहीं क्या क्योंकि ये लोग नियम कायदे को पालन नहीं करते। तो जब नगर निगम कोई अनुमति नहीं देता खाद्य सुरक्षा विभाग कोई अनुमति नहीं देता तो फिर सैंकड़ो की संख्या में राजधानी लखनऊ में मांस मछली की दुकानें चल रही हैं किसकी मर्जी से? है ये बड़ा सवाल है। 


तो अधिकारियों  की माने तो कोई शिकायत  होती है तो हम नोटिस जारी करते हैं कार्यवाही करते हैं पर हटाते क्यों नहीं इसका जबाब उनके पास भी नहीं। पर सबसे बड़ी बात खुले आम चलती अवैध माँस की दुकाने हम सबको दिखती है पर अधिकारियों को क्यों नहीं दिखती या देखना ही नहीं चाहते और खानापूर्ती ये कि शिकायत मिलने पर कार्यवाही करते हैं। अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले समय में हमारे सिस्टम के जिम्मेदार अफसर अपनी आँख खोलते हुए कोई बड़ी कार्यवाही करते हैं या फिर किसी शिकायत का इंतज़ार करते हैं।

 

लखनऊ स्थित बालाजी मंदिर के 500 ...

 

 

आज भी लखनऊ की सुषमा खर्कवाल अवैध मीट की दुकानों को लेकर अभियान चलाया उनके अनुसार लखनऊ में अवैध चिकन-मटन दुकानों को लेकर लगातार विवाद और शिकायतें सामने आ रही हैं। स्कूलों और मंदिरों के पास खुलेआम चल रही दुकानों से न केवल स्थानीय नागरिक परेशान हैं, बल्कि इनसे स्वच्छता, कानून और धार्मिक भावनाएं भी आहत हो रही हैं। मीट कटने की इतनी बदबू आ रही है कि लोगों का जीना मुश्किल है और ये समस्या राजधानी लखनऊ के महानगर, रहीम नगर, टेढ़ी पुलिया, राजाजीपुरम, कृष्णानगर, अलीगंज के डंडइया पेट्रोल पंप के पास सब जगह अवैध मीट का व्यापार हो रहा है पर पूछने वाला कोई नहीं क्योंकि लगता है सबका सिस्टम बना हुआ है। 

 

लखनऊ में गंदगी: महापौर ने ...

 

आज भी लखनऊ की मेयर सुषमा खर्कवाल अपने चिरपरिचित अंदाज में अभियान का नेतृत्व करती नज़र आयी उनके निर्देशन में आज आदिल नगर में नाले पर चल रही मीट की दुकानो पर बुलडोज़र चलाया गया और साथ ही साथ मीट विक्रेता जो खुले में मांस काटने का काम कर रहे थे उन पर जुर्माना भी लगाया गया।  हालांकि इस तरह की कार्यवाही कई बार हो चुकी है पर उसके बाबजूद अवैध मीट व्यापार की जड़े इतनी गहरी हो चुकी है कि उनको पूरी तरह से उखाड़ फेंकना फ़िलहाल संभव नहीं नज़र आ रहा है कही न कहीं इसमें अधिकारियों की गहरी संलिप्तता भी कारण हो सकती हैं। अब अंत में तो हम एक ही बात बताना चाहेंगे कि इस तरह की व्यवस्था उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा पर पलीता लगा रहे है। हम तो उम्मीद यही करेंगे कि सीएम योगी के कार्यकाल में आम जनता को इस समस्या से निजात  मिले। जिससे जनता को उनकी कथनी और करनी में कोई फर्क न नज़र आये। 

 

कुल मिलाकर एक ही बात यहाँ साबित होती है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कितनी भी नाराजगी जता लें  कितने भी आदेश दे दें होना कुछ नहीं है क्योंकि अफसरशाही इन आदेश को पालन कराने में कोई दिलचस्पी नहीं रखते। और अवैध माँस विक्रेता कहते हैं सैयां भये कोतवाल अब डर काहे का।

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