कांग्रेस नेता राहुल गाँधी के अब तक के, वो बयान जिसके लिए उन्हें झेलनी पड़ी प्रताड़ना-
BY- PRAKHAR SHUKLA
राहुल गांधी का वह बयान, जिस पर लगी फटकार
25 अगस्त 2022, कारगिल में 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान राहुल गांधी ने कहा था—
“चीनी सैनिकों ने हमारे जवानों की पिटाई की और चीन ने भारत की 2,000 वर्ग किमी जमीन ले ली।”
यह बयान 2020 की गलवान घाटी झड़प के संदर्भ में था, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।
सरकार का जवाब-
तत्कालीन लद्दाख उपराज्यपाल बी.डी. मिश्रा ने राहुल के दावे को खारिज करते हुए कहा था कि भारत की “एक इंच जमीन” भी चीन के कब्जे में नहीं है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राहुल की चीन, आरक्षण और सिख समुदाय से जुड़े बयानों को “भ्रामक, निराधार और देश की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला” बताया था।
राहुल गांधी के वे विवादित बयान, जिन पर केस चले या चल रहे हैं-
1. “RSS 21वीं सदी के कौरव” (2023)
हरिद्वार कोर्ट में मानहानि व शिकायत मामला लंबित।
2. “सावरकर ने अंग्रेजों को माफीनामा लिखा” (2022)
सावरकर परिवार और शिवसेना (शिंदे गुट) ने शिकायत दर्ज कराई।
3. “सारे चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है” (2019)
पूर्णेश मोदी की मानहानि याचिका में सूरत कोर्ट ने राहुल को दो वर्ष की सजा दी थी। इससे उनकी लोकसभा सदस्यता गई।
4. “गौरी लंकेश की हत्या में RSS का हाथ” (2017)
ठाणे अदालत ने समन जारी किया। केस जारी है।
5. “हत्या का आरोपी भाजपा प्रमुख अमित शाह” 23 अप्रैल को जबलपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गाँधी ने कहा-
अहमदाबाद और रांची में मुकदमे दर्ज; राहुल जमानत पर हैं।
6. “अमित शाह की बैंक ने सबसे ज्यादा नोट बदले” (2018)
ADCB के अध्यक्ष ने मानहानि का केस दायर किया।
7. “RSS ने मुझे मंदिर में घुसने नहीं दिया” (2015) ,असम में एक मंदिर में घुसने पर रोका
असम में कथित घटना पर गुवाहाटी कोर्ट में केस।
8. “गांधी की हत्या RSS ने कराई” (6 मार्च 2014, महाराष्ट्र ,भिवानी ) में एक चुनावी रैली के दौरान
इस मामले में राहुल ने बाद में सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगी।
दुश्मन देश राहुल गांधी के बयानों का कैसे इस्तेमाल करते हैं?
कूटनीतिक विश्लेषणों के अनुसार, चीन और पाकिस्तान जैसे देश भारत के आंतरिक राजनीतिक बयानों का इस्तेमाल अपने प्रोपेगेंडा में करते हैं। वे भारतीय नेताओं के बयान तोड़-मरोड़कर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को कमजोर दिखाने की कोशिश करते हैं।
राहुल गांधी का बयान चीन/पाक का प्रोपेगेंडा-
“लोकतंत्र खतरे में है” भारत को कमजोर लोकतंत्र बताना
“चीन हमारी जमीन ले गया” भारतीय सेना को कमजोर दिखाना
निष्कर्ष-
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद एक बार फिर यह बहस तेज हो गई है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश मामलों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर नेताओं को कितनी जिम्मेदारी से बयान देना चाहिए—क्योंकि इस तरह के बयान न सिर्फ घरेलू राजनीति में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय प्रोपेगेंडा में भी इस्तेमाल होते हैं।
No Previous Comments found.