देहदान का सम्मान न होना सरकार की संवेदनहीनता – विष्णु लोधी

डोंगरगढ़ - ग्राम झंडातलाव निवासी केवल लोधी जिन्होंने जिला स्वास्थ्य केन्द्र में वार्ड बॉय के पद पर रहते हुए लगातार सेवा दी और मानवता की मिसाल पेश की। सेवा निवृत्ति के बाद भी वे समाज के लिए जीते रहे और अंततः जीवन का सबसे बड़ा संकल्प लिया – अपने शरीर का देहदान। 24 सितंबर 2025 को वे इस संसार से विदा लेकर अंतिम यात्रा के पथ पर चले गए। उनकी यह महान इच्छा थी कि उनका शरीर मेडिकल कॉलेज में जाकर विद्यार्थियों की शिक्षा और अनुसंधान के लिए उपयोगी बने, जिससे आने वाले समय में हजारों रोगियों का इलाज संभव हो सके। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह रही कि मेडिकल कॉलेज में मृत शरीर संरक्षित करने की मशीन ही उपलब्ध नहीं थी। परिणामस्वरूप उनके इस पवित्र देहदान का वह उद्देश्य पूरा ही नहीं हो सका। श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित छत्तीसगढ़ लोधी समाज के प्रदेश कोषाध्यक्ष एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता विष्णु लोधी ने संवेदना व्यक्त कर  कहा कि यह केवल एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि समाज के लिए गहरा आघात है। जब करोड़ों का बजट खर्च होता है, तो आखिर क्यों मेडिकल कॉलेज में इतनी बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं है?

क्या सरकार के लिए घोषणाएं और दिखावे ही प्राथमिकता बन गई हैं? क्या देहदान जैसे महान कार्य का अपमान करना ही व्यवस्था का चेहरा रह गया है? विष्णु लोधी ने कहा की "वे ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे, जिनकी पहचान उनकी निस्वार्थ सेवा से थी। स्वास्थ्य केन्द्र में उनकी उपस्थिति इतनी अहम थी कि लोग कहते थे – डॉक्टर बाद में, पहले केवल वर्मा। मरीज उनकी संवेदनशीलता और देखभाल के कारण सबसे पहले उन्हीं तक पहुंचते थे। दरअसल, वे केवल मरीजों को संभालते नहीं थे, बल्कि डॉक्टर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी निभाते थे। उनकी सरलता और सेवा भाव ने उन्हें आम आदमी के दिल में अमिट स्थान दिलाया।" परिवार वालों के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारीयों को सूचना देने पर कहा गया कि यहां पर जगह खाली नहीं है आप वहीं अंतिम संस्कार कर लो, क्या ऐसे शब्द का चयन करना शोभा देता है? क्या उन्हें प्रिजर्वेशन मशीन की व्यवस्था नहीं करना था ? और आज अफसोस की बात यह है कि देहदान जैसे महान कार्य के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने उनके परिवार से संपर्क तक नहीं किया और न ही उनके योगदान का सम्मान करने की कोई पहल की। यह व्यवहार न केवल उनके परिवार के लिए पीड़ादायक है, बल्कि पूरे समाज के लिए अपमानजनक है। ऐसे महान शख्सियत का देहदान व्यर्थ जाना और उनके परिवार की अनदेखी होना सिर्फ एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि पूरे समाज का दर्द है। मैं सरकार से मांग करता हूं कि –(1.) मेडिकल कॉलेजों में देहदान करने वालो के लिए तत्काल मृत शरीर संरक्षित करने की मशीनें प्रिजर्वेशन उपलब्ध कराई जाएं।
(2.) केवल लोधी जी के परिवार को सम्मानित कर उनकी इस महान सेवा का मान बढ़ाया जाए।
(3)भविष्य में किसी भी देहदान करने वाले परिवार के साथ ऐसी उपेक्षा न हो, इसके लिए ठोस व्यवस्था बनाई जाए।

रिपोटर : महेन्द्र शर्मा

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