जीवन में बारिश का महत्व
बरसात का मौसम केवल मौसम परिवर्तन की सूचना नहीं देता, बल्कि यह जीवन, प्रकृति और समाज के हर पहलू को गहराई से प्रभावित करता है। हर साल जब काले बादल आसमान में छा जाते हैं और पहली बूंदें धरती को भिगोती हैं, तो यह दृश्य मानव जीवन में उमंग, राहत और नवजीवन की अनुभूति कराता है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में तो बारिश का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यहाँ की अर्थव्यवस्था, खाद्य सुरक्षा और किसानों की खुशहाली काफी हद तक मानसून पर निर्भर करती है।
मानव सभ्यता के विकास में पानी की भूमिका सबसे अहम रही है। बारिश न केवल पानी का प्राकृतिक स्रोत है, बल्कि यह जीवन, कृषि, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और संस्कृति—सभी को प्रभावित करती है। हर साल मॉनसून का इंतज़ार पूरे भारत में उत्सुकता से किया जाता है। किसान हो या शहरवासी, सभी जानते हैं कि समय पर और पर्याप्त बारिश हमारे जीवन के लिए कितनी ज़रूरी है।
बारिश धरती पर जीवन का आधार है। नदियाँ, झीलें, तालाब और भूजल सभी वर्षा से ही पोषित होते हैं। यदि लगातार कई वर्षों तक पर्याप्त वर्षा न हो तो न केवल फसलें प्रभावित होती हैं बल्कि पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और पर्यावरण का संतुलन भी बिगड़ जाता है।
जल चक्र में योगदान: बारिश पृथ्वी के जल चक्र को बनाए रखती है। समुद्र से उठी जलवाष्प बादल बनकर वर्षा के रूप में पुनः धरती पर आती है।
वनस्पति जीवन: पौधों की वृद्धि और जंगलों की हरियाली सीधे-सीधे बारिश पर निर्भर करती है।
पशु-पक्षियों का जीवन: वर्षा ऋतु में पशुओं के लिए चारा और पक्षियों के लिए भोजन-पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है।
पिछले कुछ वर्षों में वैज्ञानिकों ने बारिश के पैटर्न में बदलाव देखा है। कहीं अचानक बहुत अधिक बारिश हो रही है जिससे बाढ़ आती है, तो कहीं लंबे समय तक सूखा पड़ता है। यह जलवायु परिवर्तन का संकेत है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अनियंत्रित औद्योगिक विकास, जंगलों की कटाई और प्रदूषण ने प्राकृतिक संतुलन बिगाड़ दिया है। इससे न केवल कृषि बल्कि शहरों में भी जलभराव, रोग फैलने और जीवन अस्त-व्यस्त होने की समस्या बढ़ रही है।

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