मानसून में आम, अमरूद और नींबू लगाएं और सालों तक कमाएं लाखों!

मानसून का मौसम फलों के बाग लगाने के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि इस समय मिट्टी में नमी भरपूर होती है और पौधे आसानी से जड़ पकड़ लेते हैं। आपको आम, अमरूद और नींबू का बाग लगाने की सही विधि, समय, खाद, दूरी, और देखभाल से जुड़ी पूरी जानकारी दे रहे है:

मानसून में आम, अमरूद और नींबू का बाग लगाने की सही विधि

बाग लगाने का सही समय:

सबसे उपयुक्त समय: जून के अंत से अगस्त तक, जब मानसून की अच्छी बारिश शुरू हो चुकी हो।

बारिश के 2-3 दिन बाद रोपाई करना बेहतर होता है, ताकि मिट्टी गीली तो हो लेकिन पानी से भरी न हो।

बाग लगाने से पहले ज़रूरी तैयारी:

1. जगह का चुनाव:

धूप वाली, खुली और जलनिकासी वाली जगह चुनें।

एक ही खेत में एक जैसे पेड़ लगाना बेहतर होता है।

गड्ढों में भरने वाली सामग्री:

हर गड्ढे में नीचे दी गई सामग्री भरें:

10–15 किलो गोबर की सड़ी हुई खाद

250 ग्राम नीम खली या सरसों खली

1 किलो कंपोस्ट

100 ग्राम सुपर फॉस्फेट

50 ग्राम मेटालैक्सिल या बाविस्टिन (फफूंदनाशक)

मिट्टी के साथ अच्छी तरह मिलाकर भरें और 15 दिन खुला छोड़ दें।

पौधा कैसे लगाएं?

अच्छे नर्सरी से रोगमुक्त और ग्राफ्टेड (कलमी) पौधे खरीदें।

रोपाई के दिन गड्ढे के बीच में 10–15 सेंटीमीटर मिट्टी हटाकर पौधा लगाएं।

जड़ें दबाएं नहीं, बल्कि धीरे-धीरे मिट्टी डालकर हल्के हाथ से दबाएं।

पौधे के चारों तरफ थाला (basin) बनाएं ताकि पानी जमा रहे।

लगाने के तुरंत बाद हल्का सिंचाई करें (यदि बारिश न हो रही हो)।

मानसून में देखभाल के टिप्स:

जलनिकासी का ध्यान रखें – पानी रुकने से जड़ सड़ सकती है।

खरपतवार हटाएं – नमी में खरपतवार तेजी से बढ़ते हैं।

दीमक/फफूंद से बचाव करें – नीम तेल या जैविक कीटनाशक छिड़कें।

पौधे को सहारा दें – हवा से बचाने के लिए लकड़ी या बांस का सहारा लगाएं।

ऑर्गेनिक मल्चिंग करें – नमी बनाए रखने और खरपतवार रोकने में मदद मिलेगी।

अतिरिक्त सुझाव:

हर पौधे के पास एक छोटा पानी रोकने वाला थाला बनाएं।

जैविक खाद जैसे वर्मी कम्पोस्ट या पंचगव्य का प्रयोग करें।

शुरुआती 2 साल तक फूलों को तोड़ देना चाहिए ताकि पौधा मजबूत हो सके।

मानसून का मौसम फलदार बाग लगाने के लिए सबसे अच्छा समय होता है। यदि आप उपयुक्त दूरी, खाद, जल प्रबंधन और रोग नियंत्रण का सही ध्यान रखते हैं, तो आने वाले वर्षों में ये बाग न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद होंगे, बल्कि आपको आर्थिक रूप से भी लाभ देंगे।

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