आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस vs एक्चुअल इंटेलीजेंस
क्या हे यह आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस।
जैसे जैसे वर्तमान समय में टेक्नोलॉजी आगे बढ़ती जा रही हे वैसे वैसे कई नए रास्ते खुलते जा रहे हे। जैसे की आपके आसपास कोई भी ऐसी चीज नहीं होगी जो पहले से ज्यादा बेहतर और काम में भी पहले से ज्यादा पावर वाली न हो। यानी कि समय को कम करते ज्यादा काम देने वाले गैजेट लाखों की तादत में उपलब्ध हे। बस आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस भी एक मोडिफाइड टेक्नोलोजी हे जो की मानव के दिमाग की तरह ही कृत्रिम तरीके से काम करेगा और कर रहा हे। और इसका लक्ष्य यह हे कि मानव बुद्धि को अनुकरण करना ।
ये काम कैसे करेगा।।
एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए के किसी भी युग में कोईभी टेक्नोलॉजी कितनी भी आगे चली जाए लेकिन इनपुट और आउटपुट वाली दिशा में ही वह काम करेंगे। यानी की जो आप उसके प्रोग्रामिंग में इनपुट करेंगे या जो इनपुट किया गया हे वहीं आउटपुट होगा। यानी की जैसा कोडिंग वैसा जवाब होगा। वैसे ही आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस में पूरी तरह से मानव के दिमाग और उसके विचारों का प्रोग्रामिंग इनपुट करेंगे और वो पूर्णतः सही रहे वैसी कोशिश चल रही हे। जिससे आपको काम करने में आसानी हो और 1 आपका दिमाग और 1 कृत्रिम दिमाग आपके साथ रहे।।
क्या एक्यूरेसी 100% हो जाएगी?!
जब एक बेहद स्ट्रॉग प्रोग्रामिंग के साथ आप चलते हो तो यह प्रश्न होना लाजमी हे। लेकिन ऐसा नहीं होता के कोईभी चीज में हमे 100% परिणाम मिले। हा हम 100% परिणाम की उम्मीद वहा रख सकते हे जहां के नियम पहले से तय ही हे। जैसे की मैथ्स और सायंस इसकी चीजों में रूल्स तय हे तो वहा आपको हमेशा सही ही और कई गुना ज्यादा झड़प से परिणाम मिलेंगे। लेकिन जहां मानव दिमाग की बात आएगी वहां हमारी एक कहावत हे की टुंडे टुंडे मति भिन्नम यानी कि हर दिमाग में कुछ न कुछ अलग अलग भरा पड़ा हे। और सब हम प्रोग्रामिंग नहीं कर सकते इसलिए इसमें कितनी चीजें आपसे ही इनपुट करवाई जाएगी जो आपको वही परिणाम आगे जाके देंगी।।
इनपुट और आउट पुट का चक्कर
यहां पर टेक्नोलॉजी के युग में सबसे ज्यादा और सबसे मूल चीज हे वह बस यही हे। कोईभी प्रोग्रामिंग में यूज करते यूजर्स यह।दोनों चीजें करता हे और साथ में प्रोग्रामिंग बेक ग्राउंड में काम करता रहता हे। और उसमें कितनी बार ऐसा भी हो सकता हे की आपको उसके विपरीत परिणाम भी मिले। जैसे आपने कृत्रिम दिमाग को अपनी सारी बाते शेर की और वहा अपने 1 दोस्त का नाम "पागल" रख दिया तो वह उसको पागल कहकर ही संबोधित करेगा। यह एक नोर्मल रूल्स हे की जो आप अपने मोबाइल और अन्य गैजेट में उसका इस्तेमाल करते हे।
यह कदम सही या गलत आशीर्वाद या अभिशाप
इसमें ज्यादातर 1 ही चीज मायने रखती हे के जैसा यूजर वैसा उपयोग, अगर इसका उपयोग आपको पोर्न देखने में करना हे तो वह वही दिखाएंगे। और उसकी अलग दुनिया में ले जाएंगे। अगर आप संशोधन या कोई भी पढ़ाई के कम में उपयोग करेंगे तो वह आपको वहा के बारे मे जानकारी देते हैं। ऐसे ही अगर आप रसोई के तहत सामग्री ढूंढेंगे तो वह उसके रास्ते ही बताएंगे। बस यह वैसे ही काम करेंगी ।
अब जानते हे एक्चुअल इंटेलीजेंस
यह एक ऐसी चीज हे जो देशी हे। जिसमें सारे लोग अपने अपने मत के मुताबिक सोच समझकर अपनी बात रखते हे। और किसीभी चीज का वह अपनी एक्चुअल बुद्धि क्षमता हे उसका जाने अनजाने में उपयोग करके हि उस चीज का उस तरह से उपयोग करते हे। और ऐसे ही लोगों ने मिलकर यह आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस बनाया हे।
भारत के लिए सही क्या एक्चुअल या आर्टिफीशियल
अगर हम अपने देश की बात करे तो था यहां ज्यादातर यूजर्स इसके लायक नहीं हे। क्योंकि आज भी अगर आप सोशीयल मीडिया में देखो तो इसका ज्यादातर उपयोग सिर्फ और सिर्फ मॉर्फ बनाने में किए जाते हे। और उससे भी ज्यादा यह हे की जो सिर्फ टाइम पास करने के लिए देखते हे ऐसी संख्या भारत में ज्यादा हे जिसे न तो टेक्नोलॉजी का ज्ञान हे न तो सही गलत का तो यह चीज का दुरुपयोग भारत में ज्यादा होगा। अभी एक पढ़ाई लिखाई वाला वर्ग बन रहा हे लेकिन वह जब इसके लायक होंगे तो यह युग भी आगे चला गया होगा। क्योंकि आज तक अपनी सरकार भी टेक्नोलॉजी का योग्य उपयोग करने में सफल नहीं हे जैसे के कोई साइबर क्राइम , और पासवर्ड और कोई भी फ्रोड या गेम में यूजर्स को ही चेतावनी मिलती हे न की गुनहगारों को। और सरकार सारे कार्ड और नियम ऑनलाइन करने के बाद भी 1 मत नहीं हुई के कुछ घोटाला नहीं हो सकता यानी की इसको लाने वाली सरकार भी इसका सही उपयोग करना न जान पाई तो यह नई आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस के गलत उपयोग ज्यादा ही होंगे जो सही करके प्रस्तुत किए जाएंगे। ऐसे में हमे क्या करना हे।। बस हमें अपना एक्चुअल इंटेलीजेंस नहीं खोना है और हर गैजेट का बहुत सोच समझकर उपयोग करना हे अंत में एक पंच,जो एक दिमाग में भगवान और दूसरे में टेक्नोलॉजी,जो एक हाथ में मोबाइल और दूसरे हाथमे माला रखने वाला होगा वही इस एआई और एडिटिंग के युग में सही दिशा से चलके सत्य को पहचानने वाला होगा
•लेखक - प्रतिक संघवी
No Previous Comments found.