राम तेरे , शिव मेरे ........सियासत में शुरू हुई राम बनाम शिव की जंग
राम ना तेरे हैं , ना मेरे हैं , राम सबके हैं ........ जिंदगी की शुरूआत से लेकर जीवन के अंत तक राम नाम के सहारे ही जीवन चलता है , राम नाम ना हो तो जीवन का हर काम अधूरा रहता है .मगर इसी राम के नाम पर इस देश की सियासत रूक जाएगी ..ये शायद ही किसी ने सोचा होगा . राममंदिर का मुद्दा इस देश में सदियों से चलता रहा , मगर राम मेरे , राम तेरे के चक्कर में कभी मंदिर बन नहीं पाया ..अब किसी तरह लड़ झगड़ कर बड़ी उलझनों के बाद जब ये मंदिर बनकर तैयार है, तो भी इस मंदिर का विवाद है कि शांत होने का नाम नहीं ले रहा है . रामलला के मंदिर में विराजमान हो जाने का सपना सदियों से लोग देख रहे थे , अब जब वो मंदिर में विराजमान हैं , तो लोग उनके दर्शनों को बेताब है , जिनका बुलावा आ रहा है , वो धीरे धीरे वहां पहुंच रहे हैं . मगर अफसोस की कुछ लोग तो सियासत या भी भक्ति में तेरे मेरे के चक्कर में इस बुलावे को भी ठुकरा रहे हैं . जैसे यूपी की समाजवादी पार्टी ...
आज रविवार के दिन योगी सरकार ने राम मंदिर चलने के लिए यूपी के सभी विधायको को आमंत्रित किया था..चाहे वो पक्ष के हो या फिर विपक्ष के मगर समाजवादी ने ये आमंत्रण ठुकरा दिया .. अयोध्या चलने के प्रस्ताव पर अखिलेश यादव ने कहा कि जब भगवान का बुलावा आयेगा, तब जाएंगे. समाजवादी पार्टी किसी भी सूरत में बीजेपी के साथ नजर नहीं आना चाहती है. पार्टी के सीनियर लीडर शिवपाल यादव ने तो कह दिया कि हमारे लिए अलग से इंतजाम किया जाए. पार्टी का मानना है कि अयोध्या जाना बीजेपी का ट्रैप है. राम मंदिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बन रहा है लेकिन बीजेपी इसका क्रेडिट लेना चाहती है. बात सही भी है अगर , तो क्या राम मंदिर जाने से इंकार कर देना गलत नहीं हैं, ये बड़ा सवाल है , वहीं अब आज का रविवार राम बनाम शिव बना दिया गया है .क्योंकि अखिलेश यादव ने फैसला किया है कि सभी विधायक इटावा चलेंगे. वहां सब शिव मंदिर जाएंगे. महादेव की पूजा अर्चना करेंगे. फिर समाजवादी पार्टी के सभी विधायक लायन सफारी जाएंगे. लायन सफारी अखिलेश यादव के राज में बना था. इटावा का शिव मंदिर भी अखिलेश यादव ही बनवा रहे हैं. इस मंदिर का भूमि पूजन भी अखिलेश और डिंपल ने ही किया था. केदारनाथ मंदिर के मॉडल पर इटावा का मंदिर बन रहा है. मंदिर का निर्माण आख़िरी दौर में है.
यानी के देखा जाए तो आज की सियासत में भगवान भी बट चुके हैं , जो शिव , राम जी की भक्ति करते हैं .उन्ही शिवजी को रामजी से अलग समझने का प्रयास सियासी लोग कर रहे हैं. राम बनाम शिव की सियासत करके किसको क्या मिलेगा , ये तो भगवान ही जाने मगर ऐसी ही सियासत चलती रही , तो जनता को यकीन कुछ भी अच्छा नहीं मिलेगा .. सियासत करने वालों को जब वोटों की दरकार होती है , तो वो इन्ही मंदिरों में सिर झुकाते नजर आते हैं , लेकिन जब सियासत में चाल चलनी हो तो इन्ही मंदिरों को मोहरा भी बनाते हैं ,और यही आज की सियासत का सच है .
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