दिल्ली में शुरू हुई खाली कुर्सी वाली राजनीति , जनता का क्या होगा?

कभी त्रेतायुग में एक भाई ने अपने भाई के हक के लिए किया था बड़ा त्याग , आज एक मंत्री से बनी मुख्यमंत्री ने भी अपने नेता के लिए बड़ा त्याग किया है ...नमस्कार .... आप समझ ही गए होंगे कि हम किसकी बात करने जा रहे हैं ... दरसल कभी अयोध्या के राजा भरत ने अपने भाई श्री राम की गैर मौजूदगी में उनका राज्य संभाला था ...मगर कभी वो राजसिंघासन पर नहीं बैठे ना राज का सुख भोगा .. आज ऐसा ही कुछ करने का दावा दिल्ली की नई नई मुख्यमंत्री आतिशि कर रही है .. जी हां . दिल्ली के सीएम ऑफिस में आज नजारा बदला हुआ था.... दो कुर्सियां लगी हुई थीं...राज्य की नई सीएम आतिशी ने आज अपना पदभार संभाला.... जिस कुर्सी पर पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल बैठते थे उसे खाली रखा गया था....आतिशी ने कहा कि केजरीवाल के लिए सीएम की कुर्सी खाली रहेगी......मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा -
"आज मैंने दिल्ली के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला. आज मेरे मन की वही व्यथा है जो कि भरत जी की थी. जिस तरह से भरत जी ने भगवान श्रीराम के खड़ाऊं रखकर काम किया, वैसे ही मैं अगले 4 महीने मुख्यमंत्री का पद संभालूंगी. ये कुर्सी अरविंद केजरीवाल जी की है. मुझे भरोसा है कि फरवरी में होने वाले चुनाव में दिल्ली की जनता अरविंद केजरीवाल को जिताकर फिर से मुख्यमंत्री बनाएगी. तब तक अरविंद केजरीवाल जी की ये कुर्सी यहीं रहेगी."
अब सवाल उठता है कि आतिशी के इस फैसले में क्या वाकई उनका अरविंद केजरीवाल के प्रति सम्मान है , या आम आदमी पार्टी की कोई रणनीति , ये बड़ा सवाल है .. दरसल आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने 21 सितंबर 2024 को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.. जिसके बाद वो दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बन गई हैं.वहीं मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने भाजपा को भी आड़े हाथों लिया ..मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा -
पिछले दो साल से बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल की छवि खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी... उन पर झूठे मुकदमे डाले गए, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और छह महीने के लिए जेल में डाल दिया गया
कुल मिलाकर देखा जाए तो दिल्ली की सत्ता एक ऐसी महिला मुख्यमंत्री संभालने जा रही हैं, जिन्होंने कभी खुद को नेता कहलाना पसंद नहीं किया..... आतिशी खुद को एक सामान्य कार्यकर्ता मानती हैं.... मिलने वालों से सहज लहजे में बात करती हैं और कठोर बात भी सामने वाले से मुस्कुराते हुए कह जाना उनका अंदाज रहा है..मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद अपनी पहली टिप्पणी में उन्होंने अरविंद केजरीवाल को अपना बड़ा भाई बताया था..वहीं आज एक सीएम की कुर्सी खाली रखकर उन्होंने राजनीति का एक अलग रूप दिखाने का काम जरूर किया है .
देखा जाए तो मुख्यमंत्री आतिशी भले की सीएम कुर्सी पर ना बैठे .. लेकिन उनकी चुनौतिया बड़ी होंगी...अरविंद केजरीवाल के बाद मुख्यमंत्री बनीं आतिशी का कार्यकाल भले ही छोटा रहे, लेकिन उनकी चुनौतियां बड़ी होंगी उन्हें न सिर्फ विपक्षी पार्टियों की ओर से कई तरह के तंज झेलने होंगे, बल्कि उन्हें इस छोटे से कार्यकाल में ऐसे फैसले भी लेने होंगे, जिससे आगामी विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की राह आसान बने... यही नहीं, अगले विधानसभा चुनाव के नतीजे अगर उम्मीद के मुताबिक नहीं आए तो उसकी जिम्मेदारी भी उन पर ही होगी...
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