रामलला की छटा देख , भाव विभोर होंगे बादल ...रामनवमी पर अयोध्या जगमगाई

जब बात होती है अयोध्या की, तो सबसे पहले याद आते हैं रामलला, जिनके चरणों में बसी है आस्था, प्रेम और अनंत विरासत.... इस बार, 6 अप्रैल को होने वाला रामनवमी महोत्सव सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह एक ऐतिहासिक उत्सव है, जो अयोध्या को देवत्व के रंगों से सजाएगा...यह रामलला का दूसरा जन्मोत्सव होगा, जो राम मंदिर के भव्य गर्भगृह में मनाया जाएगा.... तैयारियां ऐसे चल रही हैं जैसे स्वर्ग का दरबार सजा हो....सुबह 10:20 बजे - अनुष्ठानों की शुरुआत होगी, जिसमें रामलला को पंचामृत से स्नान कराया जाएगा।
फिर उन्हें चमकदार वस्त्र, स्वर्णिम मुकुट और राजसी पगड़ी पहनाई जाएगी, जिससे वे राजा और भक्त दोनों की नजरों में अद्भुत लगेंगे।दोपहर 12 बजे - सूर्य तिलक का अनुष्ठान होगा, जिसमें रामलला के ललाट पर सूर्य का प्रकाश पड़ेगा, यह क्षण हर श्रद्धालु के दिल में बस जाएगा....जिसके बाद श्रद्धालु कुट्टू और सिंघाड़े के आटे से बने फलाहारी व्यंजन, पंजीरी, और ताजे फल-मेवों के साथ अर्पित करेंगे। लेकिन असली खासियत है 56 भोग, जो रामलला को अर्पित किए जाएंगे – स्वाद का ऐसा संगम कि भक्त भी मंत्रमुग्ध हो जाएं।बता दें कि रामानंदी परंपरा के अनुसार पूजा की जाएगी, जिसमें रामलला को बालक स्वरूप में देखा जाता है, उनकी नन्ही-मुन्नी सहजता को श्रद्धालु अपनी आँखों में बसाते हैं...
मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र के अनुसार, इस बार 30 लाख श्रद्धालुओं के अयोध्या पहुंचने का अनुमान है। भीड़ प्रबंधन महाकुंभ के पैटर्न पर किया जाएगा, जिसमें हर श्रद्धालु को बिना किसी परेशानी के अनुभव मिलेगा...गर्मी से राहत के लिए कैनोपी, चटाई और पेयजल की व्यवस्था की जा रही है। जूते-चप्पल स्टैंड भी बनाए जा रहे हैं ताकि भक्तों को सुविधा मिले।सूर्य तिलक का दर्शन गर्भगृह में सीमित लोगों तक ही सीमित रहेगा, लेकिन इसे एलईडी स्क्रीन और डीडी पर प्रसारित किया जाएगा, ताकि हर कोई इस दिव्य क्षण का अनुभव कर सके।
राम मंदिर को चमकदार लाइटिंग और फूलों से सजाया जाएगा। इस दिन का सबसे खास पल होगा गोस्वामी तुलसीदास जी की प्रतिमा का अनावरण। फिलहाल तीन दिनों से सोहर और बधावा गीत गूंज रहे हैं। भजनों की आवाज़ें और रामचरितमानस के पद हर दिल को छू रहे हैं। रामकथा, प्रवचन और धार्मिक अनुष्ठानों की धूम मच रही है।यह महोत्सव सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि स्थानीय व्यापारियों के लिए भी आर्थिक वरदान है।
देखा जाए तो जब अयोध्या की पावन धरती पर रामलला के चरणों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी, तब यह महोत्सव सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि इतिहास के पन्नों में दर्ज होने वाला एक दिव्य क्षण बनेगा।यह महोत्सव है 500 वर्षों के संघर्ष, अडिग विश्वास और अनंत भक्ति का प्रतीक। यह है एक ऐसी कहानी, जो हर दिल में गूंजेगी, हर आत्मा को छूएगी और हर नजर को आशीर्वाद देगी।
No Previous Comments found.