दुर्लभ रॉक चील उल्लू के अंडों की रक्षा के लिए खदान में खनन बंद

BY-ANJALI SHUKLA

 तेलंगाना के विकाराबाद जिले में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए एक पत्थर की खदान में करीब एक महीने के लिए खनन कार्य रोक दिया गया है, ताकि एक दुर्लभ रॉक चील उल्लू बिना किसी बाधा के अपने अंडे से सकें।

वन्यजीव फोटोग्राफरों और संरक्षणकर्ताओं द्वारा इस दुर्लभ प्रजाति और उसके अंडों की जानकारी दिए जाने के बाद वन विभाग तुरंत हरकत में आया।

विकाराबाद के जिला वन अधिकारी ज्ञानेश्वर के अनुसार, वन्यजीव फोटोग्राफर मनोज कुमार विट्टापु ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक को बताया कि उन्होंने घास के मैदान में रॉक चील उल्लू और उसके पांच अंडे देखे हैं। यह सूचना मिलने पर विभाग ने मौके पर टीम भेजी।

अधिकारियों ने खदान के मालिक लक्ष्मण रेड्डी को स्थिति से अवगत कराया, जिसके बाद उन्होंने आश्वासन दिया कि चूजे उड़ने लायक होने तक खनन पूरी तरह बंद रहेगा। इस दौरान वन विभाग के कर्मचारी रोजाना पक्षी की निगरानी कर रहे हैं।

दुर्लभ रॉक चील उल्लू दक्षिण-पूर्व एशिया में पाई जाने वाली प्रजाति है, जो मुख्य रूप से चट्टानी क्षेत्रों में रहती है और छोटे जीवों का शिकार करती है। अधिकारी का कहना है कि यह लुप्तप्राय तो नहीं है, लेकिन इसका दिखना काफी कम होता है।

अंडे कब दिए गए, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन अनुमान है कि लगभग 15 दिनों में चूजे बाहर आ जाएंगे और 20–25 दिनों की देखभाल के बाद उड़ान भरने में सक्षम होंगे।

विट्टापु ने बताया कि यह संयोग ही था कि उनकी टीम उसी समय वहां पहुँची, क्योंकि जमीन पर खनन चल रहा था और जारी रहता तो अंडे नष्ट हो सकते थे। स्थानीय लोगों को अंडों की मौजूदगी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

उन्होंने बताया कि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और पशु कार्यकर्ताओं ने भी वन विभाग से संपर्क कर पक्षी और अंडों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की थी।

खदान के मालिक ने पुष्टि की कि दुर्लभ पक्षी के अंडों का पता चलते ही उन्होंने तुरंत काम रोक दिया था।

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