रथयात्रा के दौरान पुरी में जरूर घूमें ये 5 खास जगहें – एक यादगार यात्रा अनुभव

पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा का शुभारंभ हो चुका है। हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आयोजित होने वाला यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ मौसी के घर, यानी गुंडिचा मंदिर की यात्रा करते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसमें शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं।
अगर आप भी इस विशेष अवसर पर पुरी रथयात्रा का हिस्सा बनने के लिए पुरी आए हैं, तो केवल दर्शन तक ही सीमित न रहें। इस आध्यात्मिक यात्रा को और भी खास बनाने के लिए इन प्रमुख पर्यटन स्थलों की सैर जरूर करें:
1. गुंडिचा मंदिर – भगवान का विश्राम स्थल
रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ जिस स्थान पर विराजते हैं, वह है गुंडिचा मंदिर। इसे "जगन्नाथ का उद्यान" भी कहा जाता है। पुरी से लगभग 3 किमी दूर स्थित यह मंदिर अपने शांत वातावरण और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए जाना जाता है। यह वही स्थान है जहां भगवान रथयात्रा के दौरान कुछ दिन ठहरते हैं।
2. पुरी बीच – सुनहरी रेत और सुकून भरा माहौल
बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित पुरी बीच अपने सुनहरे रेत और लहरों की मधुर ध्वनि के लिए प्रसिद्ध है। सूरज की किरणें जब रेत पर पड़ती हैं, तो वह पिघले सोने जैसी चमकती है। आप यहां पैरासेलिंग जैसे वॉटर स्पोर्ट्स का आनंद भी ले सकते हैं और भीड़-भाड़ से दूर एक सुकून भरा समय बिता सकते हैं।
3. स्वर्गद्वार बीच – मोक्ष की ओर एक कदम
"स्वर्ग का द्वार" कहे जाने वाला यह बीच श्रद्धालुओं के बीच बेहद लोकप्रिय है। मान्यता है कि यहां स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक महत्व के साथ-साथ यह स्थान एक बेहतरीन सनसेट व्यू पॉइंट भी है, जहां आप समुद्र की लहरों के साथ ढलते सूरज का मनोरम दृश्य देख सकते हैं।
4. रघुराजपुर हेरिटेज विलेज – कला और संस्कृति का संगम
पुरी से लगभग 12 किमी दूर स्थित रघुराजपुर गांव, पारंपरिक पट्टचित्र पेंटिंग और हस्तशिल्प के लिए विख्यात है। यहां हर घर में एक कलाकार की कार्यशाला है, जो ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक प्रस्तुत करता है। कला प्रेमियों के लिए यह जगह किसी खजाने से कम नहीं।
5. कोणार्क सूर्य मंदिर – वास्तुकला का चमत्कार
पुरी से 35 किमी दूर स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर, यूनेस्को द्वारा घोषित वर्ल्ड हेरिटेज साइट है। यह मंदिर 13वीं शताब्दी में बना और कलिंग वास्तुकला का बेजोड़ उदाहरण है। मंदिर का आकार एक विशाल रथ की तरह है, जो सूर्य देव को समर्पित है। यह स्थान न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है।
पुरी की रथयात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और सुंदरता का संगम है। यदि आप इस पावन अवसर पर पुरी पहुंचे हैं, तो इन दर्शनीय स्थलों की यात्रा करके अपने अनुभव को और भी यादगार बनाएं। पुरी दर्शन बिना इन स्थानों के अधूरा है।
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