"मुंह के छाले अब नहीं होंगे बार-बार: अपनाएं ये असरदार उपाय"

मुंह में छाले होना एक आम समस्या है, लेकिन जब यह बार-बार होने लगे, तो यह सिर्फ सतही परेशानी नहीं रह जाती। यह किसी गहरी स्वास्थ्य समस्या की ओर इशारा कर सकता है, विशेष रूप से पाचन तंत्र या शरीर में पोषक तत्वों की कमी से जुड़ा हुआ। चलिए जानते हैं इसके मुख्य कारण, लक्षण, और उपचार के उपाय।
मुंह के छाले क्या होते हैं?
मुंह के छाले (Mouth Ulcers) छोटे, सफेद या पीले रंग के घाव होते हैं जो होंठों के अंदर, गालों की भीतरी सतह, जीभ या मसूड़ों पर हो सकते हैं। ये छाले जलन, दर्द और असुविधा पैदा करते हैं, जिससे खाना, पीना या बोलना मुश्किल हो सकता है।
बार-बार छाले होने के प्रमुख कारण
पाचन तंत्र की गड़बड़ी:
कब्ज, गैस, या अम्लपित्त (Acidity) शरीर में गर्मी पैदा करता है, जिससे छाले हो सकते हैं।
विटामिन और खनिज की कमी:
Vitamin B12, Iron और Folic Acid की कमी से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, जिससे बार-बार छाले हो सकते हैं।
तनाव और नींद की कमी:
मानसिक तनाव और पर्याप्त नींद न लेने से भी शरीर में असंतुलन होता है, जो छालों का कारण बन सकता है।
मुंह की स्वच्छता में लापरवाही:
ब्रश ठीक से न करना या गंदे ब्रश का इस्तेमाल संक्रमण को जन्म दे सकता है।
हार्मोनल परिवर्तन:
महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण भी छाले हो सकते हैं।
मसालेदार या खट्टे भोजन का अधिक सेवन:
तीखा और एसिडिक खाना मुंह के ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकता है।
लक्षण (Symptoms)
सफेद या पीले रंग के दर्दनाक घाव
मुंह में जलन या चुभन
खाने-पीने या बोलने में तकलीफ
कभी-कभी हल्का बुखार या कमजोरी
घरेलू उपाय और उपचार
गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करें – सूजन कम होती है।
शहद और हल्दी का पेस्ट लगाएं – यह प्राकृतिक एंटीसेप्टिक है।
तुलसी के पत्ते चबाएं – बैक्टीरिया से बचाव होता है।
छाछ (Buttermilk) या नारियल पानी पीएं – शरीर की गर्मी कम करता है।
एलोवेरा जेल लगाएं – दर्द और जलन से राहत मिलती है।
Vitamin B12 और Iron-rich डाइट लें – जैसे हरी सब्जियाँ, अनार, अंडा, दूध, आदि।
डॉक्टर से कब संपर्क करें?
यदि छाले 7–10 दिन में ठीक न हों।
बहुत बार हो रहे हों।
छालों के साथ तेज बुखार, थकान या अन्य लक्षण हों।
खाना-पीना या बोलना पूरी तरह असंभव हो जाए।
मुंह में बार-बार छाले होना एक सामान्य लेकिन नजरअंदाज न करने वाली समस्या है। यह शरीर के अंदरूनी संतुलन का संकेत हो सकता है, खासकर पाचन तंत्र और पोषक तत्वों से जुड़ा हुआ। यदि घरेलू उपायों से राहत न मिले, तो चिकित्सक से परामर्श लेना अत्यंत आवश्यक है।
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